तो क्या मेयर गौरव गोयल के इस कदम से रुड़की से मां लक्ष्मी जी जाएंगी रूठ?जानिए खबर में दिलचस्प पूरी बात…


रुड़की(संदीप तोमर)। यहां जो खबर प्रकाशित की जा रही है उसका उद्देश्य किसी भी रूप में किसी धर्म और जाति या वर्ग विशेष की भावना को आहत करना,या फिर रुड़की के नव निर्वाचित मेयर गौरव गोयल की कार्य प्रणाली को बाधित करना कतई नही है,किन्तु एक ऐसा मसला खुद गौरव गोयल की कार्य प्रणाली से उठ खड़ा हुआ है कि जिसे हिन्दू धर्मवालम्बियों की नजर से देखा जाए और लोगों के कथन पर विश्वास किया जाए तो मेयर गौरव गोयल का यह कार्य कथित रूप से धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी जी की कृपा से रुड़की नगर को वंचित कर सकता है? नेट सर्चिंग में तो इस बात की पुष्टि हुई ही है,खुद रुड़की नगर के एक बड़े ज्योतिष व पुजारी ने भी इस बात को माना है।

क्या है मामला?

दरअसल रुड़की के नवनिर्वाचित मेयर गौरव गोयल ने नए-नए जोश में शहर को साफ सुथरा रखने की मंशा से सुबह के साथ ही शाम को भी शहर में सफाई किये जाने का फरमान लागू किया है। इसी मंशा के तहत गौरव गोयल खुद दो दिन पूर्व रात के समय रेलवे रोड व रामनगर में झाड़ू लगाने आये थे। उनके आदेश के क्रम में सफाई कर्मी रात के समय शहर की सड़कों पर झाड़ू लगा रहे हैं।

क्या है दिक्कत?

मेयर गौरव गोयल की मंशा भले साफ सुथरी हो पर रात के समय झाड़ू की सफाई को हिन्दू धर्मावाल्मबी सही नही मान रहे हैं। आज एक आयोजन में कई लोगों ने खुद इस संवाददाता के समक्ष रात को लगने वाली झाड़ू को हिन्दू धर्म परम्परा के विपरीत अनुचित करार देते हुए मेयर गौरव गोयल पर कई कटाक्ष किये। हालांकि यह मसला पिछले दो दिन से इस रूप में शहर में चर्चा का विषय बना है कि इसी तरह गौरव गोयल रात को झाड़ू फिरवाते रहे तो मां लक्ष्मी जी रूठ जाएंगी और शहर पर झाड़ू तो फिर ही जाएगी,उल्लू अलग से बैठ जाएगा? प्रकरण जानकारी में आने के बाद मेयर गौरव गोयल से बात करने को इस संवाददाता ने कई बार उन्हें फोन किया,पर उनका फोन नही उठा।

क्या है धार्मिक मान्यता?

हिन्दू धर्म में रात के समय झाड़ू लगने को लेकर क्या मान्यता है इसे लेकर नेट पर सर्च किया तो हर साइट पर इसे गलत करार दिया गया। एक प्रमुख न्यूज़ चैनल की साइट से जो जानकारी इस बाबत मिली वह यहां अक्षरक्ष प्रस्तुत है….

शाम को झाड़ू भूल कर भी नहीं

सूरज डूबने के बाद घर में झाडू नहीं लगाना चाहिए। दरअसल, ऐसी मान्यता है कि शाम के वक्त झाड़ू लगाने से लक्ष्मी जी घर के बाहर चली जाती हैं। एक वजह यह भी है कि पुराने जमाने में बिजली नहीं होती थी। सूरज डूबते ही लालटेन या दीये की रोशनी में लोग काम करते थे। ऐसे में अंधेरे में झाडू लगाते हुए कई बार जरूरी चीजें भी बाहर कूड़े में चली जाती थीं। इसलिए भी इसे नियम के तौर पर माना जाने लगा कि अंधेरा होते ही या दिन ढलने के बाद झाडू नहीं लगाना चाहिए।


क्या कहते हैं नामी ज्योतिष?

इस बाबत रुड़की हब ने नामी ज्योतिष और श्री दुर्गा मंदिर नेहरू स्टेडियम के प्रमुख पुजारी पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली से बातचीत की तो उन्होंने भी इसे गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि घर हो या शहर रात के समय झाड़ू लगाया जाना हिन्दू धार्मिक दृष्टि से गलत है। मेयर नगर प्रमुख होते हैं,ऐसे में पूरा नगर उनका घर है और घर में झाड़ू सूरज ढलने के बाद नही लगनी चाहिए। उचित हो कि मेयर ऐसी व्यवस्था करें कि झाड़ू सूरज ढलने से पहले लग जाये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *