..तो मान लें कि रुड़की के जनप्रतिनिधि और नेता नकारे हो गए हैं? हरिद्वार शिफ्ट हो गया जिला उद्योग केंद्र का दफ्तर और शहर में जिक्र तक नही!

रुड़की(संदीप तोमर)। युवाओं को उद्योगों से जोड़ने के साथ ही उनके स्वरोजगार में अहम भूमिका निभाने वाले सरकारी विभाग जिला उद्योग केंद्र का रुड़की स्थित दफ्तर हरिद्वार शिफ्ट हो गया है,लेकिन बुद्धिजीवियों के शहर कहे जाने वाले रुड़की नगर में कोई जिक्र तक नही है। विशेष रूप से सवाल जनप्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर खड़े हो रहे हैं। यूं यह ऐसा मसला है कि रुड़की व आसपास के क्षेत्रों भगवानपुर,झबरेड़ा,मंगलौर,लंढौरा व लक्सर तक के जनप्रतिनिधि इसे लेकर सवालों की जद में आते हैं,किन्तु बड़ा सवाल रुड़की के जनप्रतिनिधियों के साथ ही यहां के तमाम दलों के नेताओ की भूमिका को लेकर है। इस दृष्टि से और ज्यादा कि यहां नगर निगम के चुनाव प्रस्तावित हैं और विभिन्न दलों से टिकट के दावेदार नेता हर घन्टे जनता के हितों की देखरेख करने के दावे मुहं फाड़ फाड़ कर करते हैं।

जिला उद्योग केंद्र का रामनगर इंडस्ट्रियल क्षेत्र स्थित दफ्तर हरिद्वार शिफ्ट होना,उस दौर की याद दिला रहा है जब उत्तर प्रदेश के जमाने में हरपाल साथी के भाजपा सांसद रहते रुड़की के रामनगर क्षेत्र में ही स्थित बिजलीघर जो कि उत्तराखण्ड समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई करता था,यहां से ऋषिकेश शिफ्ट कर दिया गया था। तब सांसद से लेकर विधायक तक व अन्य सभी नेताओं को यहां की जनता ने नकारा करार दिया था और तब के जनप्रतिनिधियों को तो वोट के जरिये ऐसा नकारा था कि कई को आज तक पानी नही मिल पाया है। इस मसले को लेकर भी यहां की जनता जनप्रतिनिधियों को उसी तरह नकारा करार दे रही है। वह इन्हें भविष्य में वोट की चोट देते हुए भी सबक सिखाएगी या नही?यह देखने वाली बात होगी,लेकिन लोग हैरान हैं कि इतना अहम दफ्तर रुड़की से शिफ्ट हो गया है किंतु यहां कोई जिक्र तक नही हुआ है। यह दफ्तर हरिद्वार के पेंटागन मॉल में शिफ्ट किया गया है और सात अगस्त से बकायदा वहां दफ्तर काम करने लगेगा। दफ्तर को वहां शिफ्ट करने के,सिडकुल इंडस्ट्रियल एरिया वहां होने,जैसे सरकारी तर्क अपनी जगह हो सकते हैं।किंतु रुड़की के समीप भगवानपुर,देवभूमि,
इकबालपुर इंडस्ट्रियल एरिया के साथ ही शीघ्र ही खानपुर में लगने वाले इंडस्ट्रियल एरिया के तर्क इसके जवाब में हैं। यानि सिडकुल से बड़ा एरिया रुड़की में इस दफ्तर से जुड़ा था। खैर रुड़की के जनप्रतिनिधियों की इस मसले पर भूमिका ऐसी है जैसे किसी का हाथ कट गया हो और शीश को पता ही न चले। दिलचस्प ही है न कि यहां के भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा कुछ माह पूर्व परिवार के साथ अवकाश मनाते विदेश घूम रहे होते हैं तो उन्हें रामनगर के चौक के कथित सौन्दर्यकरण का ख्याल आ जाता है और वह विदेश से ही भीषण गर्मी में रामनगर यात्री स्टॉप पर लगा शेड उतरवा देते हैं और हाल ही में कथित सौन्दर्यकरण के लिए इसी चौक स्थित रामद्वार के भी कुछ हिस्से को तुड़वा दिया गया है,लेकिन इस स्थान से बामुश्किल एक किलोमीटर दूर स्थित इस अहम सरकारी दफ्तर के शिफ्ट हो जाने की जानकारी भी शायद प्रदीप बत्रा को नही है। ऐसा ही हाल पूर्व मेयर यशपाल राणा का है। वह अभी सीट पर नही हैं किंतु जिस तरह वह रामपुर पाडली को निगम क्षेत्र में शामिल करने की लड़ाई कोर्ट में लड़ सकते हैं,ऐसे ही शायद उन्हें इस सरकारी दफ्तर को रुड़की में रखने की लड़ाई भी लड़नी चाहिए।लेकिन इसमें वोट बैंक वाली बात नही तो शायद इसीलिए वह भी खामोश हैं। यह बात भाजपा टिकट के दावेदार प्रदेश उपाध्यक्ष मयंक गुप्ता,अजय सिंघल,गौरव गोयल,संजय अरोड़ा आदि पर भी लागू होती है। यह लोग भी वोट बैंक की राजनीति में रामपुर पाडली को निगम में जोड़े जाने का तो विरोध कर रहे हैं लेकिन इस अहम मामले की शायद इन्हें जानकारी भी नही। कलियर विधायक फुरकान अहमद हों,या फिर झबरेड़ा क्षेत्र के विधायक देशराज कर्णवाल,भगवानपुर की विधायक ममता राकेश हों अथवा खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन या फिर लक्सर विधायक संजय गुप्ता और मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन सभी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि इस दफ्तर के रुड़की से शिफ्ट होने को लेकर सवालों की जद में हैं। इतना अहम दफ्तर यहां से शिफ्ट हो जाने के बाद भी इन जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को जनता नकारेपन के रूप में ही देख रही है। सत्तारूढ़ भाजपा हो या अन्य दलों के नेता अथवा अराजनीतिक रूप से सक्रिय रहने वाले संगठन इस मसले को लेकर कोई भी जनता की निगाहों से बाहर नही है। खैर जहां तक सांसद की बात है तो उनके लिए शायद दोनों स्थान महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वह पूरे जिले के सांसद हैं।

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