(चर्चा-ए-आम) मयंक गुप्ता भारी दिखे तो हलकी पड़ी सुरेश जैन और प्रदीप बत्रा की राजनीतिक दुश्मनी….


रुड़की(संदीप तोमर)।कहते हैं कि राजनीति में कौन कब किसका दुश्मन और कब कोई पुराना दुश्मन दोस्त बन जाये?कुछ नही कहा जा सकता। हरियाणा इसका ताजा उदाहरण है। ऐसे में चर्चा-ए-आम को सही माने तो रुड़की में नगर निगम चुनाव को लेकर चल रही गरमा-गरम राजनीति में कुछ ऐसा ही घटित हुआ है। सही या गलत?यह साफ नही,लेकिन फिलहाल, भाजपा में मेयर पद के लिए टिकट की बड़ी भागदौड़ में लगे नेताओं के बीच किसी स्तर पर प्रदेश उपाध्यक्ष मयंक गुप्ता को भारी पड़ता देख 11 साल पुराने दो राजनीतिक दुश्मनों की यह राजनीतिक दुश्मनी ठंडी पड़ गयी है,ऐसी चर्चा नगर के राजनीतिक क्षेत्र के लोगों में आम है।

जी हां,यहां बात हो रही है मौजूदा नगर भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा और पूर्व भाजपा विधायक सुरेश चंद जैन की। शहर के टोपी बाजार(राजनीतिक क्षेत्र)में इन दोनों के आजकल दोस्त बन जाने की पूरी बात को विस्तार से आगे जानने से पहले यहां नामचीन शायर बशीर बद्र का एक शेर गौर फरमाएं तो बात शायद और अच्छी लगे। इसमें बद्र साहब ने फरमाया है कि “दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम,
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएंगे।”अब चर्चा अनुसार प्रदीप बत्रा व सुरेश चंद जैन की यह दोस्ती इस शेर की रोशनी में दुश्मनी की किसी थकावट के कारण तो नही लगती। बल्कि दोनों की राजनीतिक दोस्ती को लेकर जो चर्चाएं हैं उनको सही माने तो उपरोक्त शेर शायद यूं बने कि “दुश्मनी का सफ़र कभी फिर सही,अभी तू मेरा काम कर दे और मैं तेरा काम कर दूं।”


दरअसल चर्चाओं के अनुसार इन दोनों की राजनीतिक दुश्मनी भाजपा टिकट की जंग में किसी स्तर पर प्रदेश उपाध्यक्ष मयंक गुप्ता को भारी पड़ता देख हलकी पड़ी है। सुरेश जैन का मयंक गुप्ता से वर्षों पुराना 36 का राजनीतिक आंकड़ा किसी से छुपा नही है। ऐसे में चर्चा है कि पहले खुद भी टिकट के दावेदार रहे सुरेश जैन को जब अपनी दावेदारी पर ऊपरी स्तर पर कोई सकारात्मक रिजल्ट नही मिला तो उन्होंने मयंक गुप्ता की दावेदारी कमजोर करने को कदम बढ़ाए। इधर मौजूदा भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा के सम्बंध में चर्चा है कि उन्हें भी (प्रदीप बत्रा को)मयंक गुप्ता के कैंडिडेचर से इस बात का डर है कि भविष्य में वह(मयंक गुप्ता) उनके लिए भाजपा की राजनीति में बड़ा खतरा बन सकते हैं। यहां ध्यान रहे कि 2008 में ठीक ऐसे ही हालात में प्रदीप बत्रा की सुरेश जैन के साथ राजनीतिक दुश्मनी शुरू हुई थी। तबके विधायक सुरेश जैन ने चाचा के रूप में युवा भाजपा नेता प्रदीप बत्रा को भतीजे के रूप में पालिका चैयरमैन चुनाव में भाजपा टिकट का आश्वासन दिया हुआ था,लेकिन टिकट अश्वनी कौशिक को हुआ था। बत्रा समर्थकों का आरोप है कि सुरेश जैन ने भविष्य का राजनीतिक खतरा मानकर प्रदीप बत्रा को टिकट नही दिलवाया था। हालांकि जैन इस आरोप से इंकार करते आये हैं। वैसे इसके बाद नगर से जुड़े विभिन्न मसलों को लेकर लगातार दोनों के बीच राजनीतिक तलवारें ही खिंचती रही। एक बार तो दोनों के समर्थकों में हाथापाई तक हो गयी थी। खैर यह भी सच है कि सुरेश जैन के लिए 2008 में भाजपा टिकट न मिलने पर भी प्रदीप बत्रा ही राजनीतिक खतरा बने और ऐसे बने कि सुरेश जैन की राजनीति पर लगभग पूर्ण विराम ही लगा डाला। यह तो उन्हें अब भाजपा में वापसी कर कुछ राजनीतिक सांसे आयी हैं।

खैर चर्चाओं को सही माने तो थोड़े बदलाव के साथ 2008 का इतिहास एक बार फिर खुद को दोहरा रहा है। चर्चा अनुसार इस बार विधायक प्रदीप बत्रा को मयंक गुप्ता से वही डर लग रहा है,जो 2008 में विधायक रहते सुरेश जैन को प्रदीप बत्रा से लगा था। बदलाव यह है कि इस बार सामने भी कोई मिठाई के कारोबार तक सीमित एक युवा नेता नही बल्कि भाजपा की राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले मयंक गुप्ता हैं। हां,यह बदलाव भी है कि तब घेराबंदी करने वाले अकेले सुरेश जैन थे,जबकिं अब जैन व बत्रा(जैसी चर्चा है)दोनों है। चर्चाएं सही है तो आगामी समय में भाजपा का मेयर टिकट कौन हासिल करता है?जहां यह देखना महत्वपूर्ण होगा,वहीं खबर के अंत में चर्चा-ए-आम की इस बात को भी बता देना जरूरी समझता हूं कि कथित चर्चा अनुसार पिछले दिनों सुरेश जैन व प्रदीप बत्रा टिकट के सम्बन्ध में एक ही गाड़ी से दून पहुंचकर मुख्यमंत्री तक से मिल चुके हैं?यही नही दोनों ने कथित रूप से मयंक गुप्ता का विरोध करते हुए अजय सिंघल के नाम पर सहमति जताई?ऐसा भी चर्चाओं में कहा जा रहा है।

पूरी पार्टी एकजुट,जो भी प्रत्याशी होगा उसका देंगे साथ

सुरेश जैन व प्रदीप बत्रा के समर्थकों ने इन सब बातों को गलत ठहराया है। बत्रा समर्थकों का कहना है कि जैन कांग्रेस में जाकर जरूर पार्टी से अलग हुए थे,लेकिन हाईकमान ने जब उनकी घर वापसी कर ली तो वह पहले की तरह भाजपा परिवार का ही हिस्सा हैं। ऐसे में उन्हें बत्रा से अलग नही कहा जा सकता। जैन समर्थकों ने भी इन सब बातों को गलत ठहराते हुए चुनावी बातें बताया है। दोनों के समर्थकों का कहना है कि पार्टी जिसे भी टिकट देगी,उसका साथ देकर उसे विजयी बनवाया जाएगा।

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