पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन की घर वापसी,अब भाजपा में प्रदीप बत्रा के लिए राजनीतिक खतरा?


रुड़की(संदीप तोमर)एक दशक तक भाजपा से रुड़की विधायक रहे सुरेश चंद जैन 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव हारकर घर बैठ गए थे। जैसा कि 2017 के चुनाव के बाद ही कहा जाने लगा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सुरेश चंद जैन के साथ ही उनके समर्थकों की घर(भाजपा)में वापसी हो जाएगी,ठीक ऐसा ही हो गया है। आज देहरादून में सुरेश चंद जैन ने समर्थकों संग पुनः अपनी पुरानी पार्टी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। उनकी घर वापसी का लाभ निश्चित रूप से भाजपा को मिलेगा,लेकिन उनसे भाजपा प्रत्याशी के रूप में 2017 का चुनाव जीतने वाले रुड़की के पूर्व कांग्रेसी और मौजूदा भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा को कहीं न कहीं राजनीतिक रूप से उनकी पुनः भाजपा में आमद से नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसे प्रदीप बत्रा के लिए राजनीतिक खतरा के रूप में भी कहा जा सकता है।
पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन ने आज देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरिद्वार प्रत्याशी डा. निशंक के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में विधिवत रुप से फिर से पार्टी सदस्यता ले ली है।
मौजूदा रुड़की भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा को किस तरह से जैन की वापसी से राजनीतिक खतरा रहेगा,इसका जिक्र आगे होगा,किन्तु यहां जान लेना जरूरी है कि उत्तराखण्ड गठन के बाद भाजपा से दो बार विधायक रहे जैन ने टिकट न मिलने पर 2017 में भाजपा से किनारा कर लिया था। इसके साथ ही कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़े। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।उस हार के बाद से वह राजनीति में पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए। माना जा रहा था भाजपा और संघ के परिवेश में राजनीति करने वाले जैन ने कांग्रेस का दामन केवल चुनाव लड़ने के लिए ही थामा था। हार के बाद वह न तो कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में नजर आए और न ही कोई कांग्रेसी उनके इर्द गिर्द नजर आया। निकाय चुनाव से पूर्व जैन की भाजपा में वापसी की खबर तेजी से चली। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनकी मुलाकातों की फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो उनकी वापसी की खबर को और हवा मिल गयी। लेकिन उनकी भाजपा में वापसी की खबर को उस समय जैन और भाजपा के पदाधिकारियों ने दरकिनार कर दिया। किन्तु रुड़की में आरएसएस के चहेते समझे जाने वाले जैन की बाबत बिल्कुल तय ममाना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में उनकी घर वापसी होगी और यह सच भी साबित हुई। करीब दो वर्षों तक भाजपा से निष्कासित रहने के बाद आज फिर जैन अपने अनेक समर्थकों संग फिर से भाजपा के सदस्य बन गए। अब प्रदीप बत्रा को उनसे राजनीतिक खतरे की बात करें तो जैसा कि पहले ही बताया कि सुरेश चंद जैन व्यक्तिगत रूप से संघ नेताओ के बहुत प्रिय हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के दौरान भले संघ ने उनसे दूरी बनाए रखी हो,किन्तु चुनाव खत्म होते ही संघ के कई कार्यक्रमों में वह नजर आये। जबकि इधर प्रदीप बत्रा आज तक संघ की नजर में वह मुकाम नही बना पाएं हैं जो जैन का है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जैन की पुरानी निकटता भी किसी से छिपी नही है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि जैन जितने सीएम के निकट हैं उतने ही सांसद निशंक के भी। अब रुड़की की भाजपा राजनीति के बात करें तो 2017 के बाद से अभी तक प्रदीप बत्रा को पार्टी के भीतर से यहां कोई चुनौती देने वाला नही था। शहर की भाजपा राजनीति में जितने भी चेहरे हैं सभी किसी न किसी स्तर पर बत्रा से हाथ मिलाकर ही चल रहे थे। बत्रा की बात सही हो या गलत,सभी या तो उनकी हां में हां मिलाए हुए थे या फिर खामौश थे। किंतु मुद्दों को सही और गलत की कसौटी पर तौलकर बात करने का जैन का स्वभाव प्रदीप बत्रा पर तब भी भारी पड़ा था,जब बत्रा पालिका चैयरमैन और जैन विधायक हुआ करते थे। कल जैन किसी चुनाव में भाग लेंगे या नही?या पार्टी किस रूप में भविष्य में उनका प्रयोग करेगी?यह तो वक्त बताएगा,किन्तु इतना साफ कहा जा सकता है कि प्रदीप बत्रा के सामने भाजपा की राजनीति में यहां अब एक मजबूत धड़ा तो खड़ा हो ही जायेगा। यानि भाजपा की राजनीति में भविष्य में प्रदीप बत्रा के लिए खतरा तो कहा ही जा सकता है।

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