विजनरी सीएम के सहयोग से अंततः आधुनिक भगीरथ डा.नरेंद्र सिंह का सपना पूरा होने की ओर
सन्दीप तोमर
रुड़की। जिस तरह राजा सगर के साठ हजार पुत्रों के तारन को भगीरथ कठोर तप द्वारा गंगा जी को धरती पर लाये थे,ठीक उसी तरह घाड़ क्षेत्र से लेकर राज्य के सीमांत सैकड़ों गांवों के सिंचाई संकट को दूर करने के लिए एक आधुनिक भगीरथ का दो दशक पूर्व देखा गया सपना अब पूरा होने को है। इस सपने को पूरा करने के लिए जो सबसे बड़ा संकट था,वह था वित्तीय व्यवस्था और कल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा के साथ ही वह बाधा भी दूर हो गयी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस बेहद अहम परियोजना को इस मुकाम तक पहुंचाने में आधुनिक भगीरथ के विजन को समझकर खास योगदान दिया है।
जिस शख्स को यहां आधुनिक भगीरथ के तौर पर सम्बोधित किया जा रहा है,वह हैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार डा.नरेंद्र सिंह। डा.नरेंद्र सिंह आईआईटी रुड़की में प्रोफेसर रह चुके हैं। राजनीति से अलग उनकी पहचान एक समाजसेवी के रूप में होती है। सच कहें तो आज भी वह राजनीतिक कम और समाजसेवी के रूप में ज्यादा पहचाने जाते हैं। खैर उनके समाजसेवा के अन्य तमाम कार्यों की चर्चा कभी अलग से होगी,किन्तु यहां उन्हें आधुनिक भगीरथ के नाम से क्यों पुकारा जा रहा है, इसे समझ लीजिए। दरअसल डा.नरेंद्र सिंह खुद जिस भलस्वागाज गांव से आते हैं,सिर्फ उसके आसपास ही नही बल्कि भगवानपुर के घाड़ क्षेत्र और इधर चुड़ियाला, इकबालपुर से लेकर झबरेड़ा से सटे अनेक गांव में सिंचाई का बड़ा संकट है। आजादी के समय से ही इस क्षेत्र में कोई नहर या रजवाहा न होने के कारण यह क्षेत्र खेती किसानी को लेकर उस हिसाब से तरक्की नही कर पाए,जिस हिसाब से होनी चाहिये थी। अब की बात करें तो स्थिति यह हो गयी है कि लगातार कम बारिशों के चलते और क्षेत्र में कोई नहर-रजवाहा न होने के कारण भू जल स्तर भी नीचे गिर रहा है। यही नही सीमा पार उत्तर प्रदेश के गांवों की भी बात करें तो खेड़ा मुगल से नागल तक सिंचाई ही नही पेयजल को लेकर बड़ा संकट बनता जा रहा है। ऐसे में डा.नरेंद्र सिंह ने लगभग दो दशक पूर्व इस क्षेत्र में एक नहर निकलने का सपना देखा था। इसके लिए यूपी के दौर से ही उन्होंने प्रयास शुरू किया था। यहां बता देना जरूरी है कि गंगनहर के निर्माण के समय ही कर्नल पीबी कोटले के दिमाग में शायद इस क्षेत्र की स्थिति थी। यही कारण है कि बहादराबाद के निकट पथरी पावर हाउस पर इसके निर्माण हेतु अंग्रेजी शासन में ही हेड बना दिया गया था। अंग्रेज चले गए और प्रदेश व देश में सरकारें भी आती जाती रही,किन्तु इस क्षेत्र में नहर निर्माण का काम हेड तक ही सीमित रहा। डा.नरेंद्र सिंह इस काम में जुटे रहे,किन्तु यह काम अपने परवान चढ़ने की ओर बढ़ने की आश तब जगी,जब डा.नरेंद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार नियुक्त हुए और उन्होंने पहले ही दौर में जनकल्याण की यह अहम योजना उनके सामने रखी। डा.नरेंद्र सिंह के शब्दों में विजनरी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस अहम योजना को गम्भीरता से लिया और चूंकि यह नहर उत्तर प्रदेश तक जानी है जो वहां काली नदी से लिंकअप होगा तो सबसे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सम्पर्क किया और उनकी सहमति जुटाई। इसके बाद इसके उत्तराखण्ड के हिस्से का सर्वे का काम हुआ। डा.नरेंद्र सिंह की भागदौड़ को गम्भीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार प्रयास करते रहे और अंततः कल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हरिद्वार में कार्यक्रम के दौरान इस नहर निर्माण की बाबत घोषणा की। 560 करोड़ की लागत से बनने वाली उत्तराखण्ड के हिस्से की 35 किमी.लम्बी इस नहर के बनने से सम्पूर्ण घाड़ क्षेत्र के साथ ही भगवानपुर,चुड़ियाला,इकबालपुर और झबरेड़ा क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के लोगो को सिंचाई व पेयजल स्तर सुधर जाने के रूप में इस कारण फायदा होगा,क्योंकि नहर से 50 किमी.लम्बे रजवाहे और 80 किमी.लम्बी गुल(बड़ी नालियां) भी बनाई जाएगी। अभी यूपी में नहर को लेकर वहां के शासन द्वारा सर्वे कराया जाना शेष है बाकि उत्तराखण्ड के हिस्से में अब जल्द ही काम भी शुरू होने के आसार है। जाहिर है कि काम शुरू होते ही आधुनिक भगीरथ यानि डा.नरेंद्र सिंह का सपना पूरा हो जाएगा। हालांकि डा.नरेंद्र सिंह इसका श्रेय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की भविष्य को देखते हुए काम करने के विजन और उनके अनुरोध पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा समय रहते घोषणा करने को लेकर उन्हें देते हैं। किंतु इस काम के लिए उन्हें क्षेत्र में आधुनिक भगीरथ तो पुकारा ही जाने लगा है।