रिलीज होते ही फिल्म आर्टिकल 15 का क्यों हुआ विरोध देखी पूरी सच्चाई


नितिन कुमार
आयुष्मान खुराना की फिल्म ट्रेलर रिलीज हो गया है। इस ट्रेलर में एक ऐसे मुद्दे को उठाया गया है जो फिल्मों के लिए ज्यादातर अछूत ही रहा है। यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, देश में किस तरह से जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाता है और किस तरह से निचले तबके के लोगों के लिए जीना मुश्किल होता है, इस फिल्म में इसे ही दिखाया गया है। इस फिल्म का निर्देशन ‘मुल्क’ बनाने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा ने किया है। इस फिल्म का नाम आर्टिकल 15 है इसकी भी वजह है। दरअसल हमारे संविधान में तो लिखा गया है कि किसी भी वर्ग, जाति, लिंग या धर्म के व्यक्ति में किसी तरह का अंतर नहीं किया जाएगा लेकिन देश में क्या हो रहा है इससे ना आप अन्जान हैं और ना ही हम !
संविधान में अनुच्छेद होते हैं, और 15वां अनुच्छेद ही आर्टिकल 15 है। संविधान के आर्टिकल 15 के मुताबिक आप किसी भी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं कर सकते हैं। आर्टिकल 15 में क्या लिखा है आइए आपको प्वाइंटर में बताते हैं।

राज्य, किसी नागरिक से केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी भी आधार पर किसी तरह का कोई भेद-भाव नहीं करेगा।
किसी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी दुकान, सार्वजनिक भोजनालय, होटल और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों जैसे सिनेमा और थियेटर इत्यादि में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है। इसके अलावा सरकारी या अर्ध-सरकारी कुओं, तालाबों, स्नाघाटों, सड़कों और पब्लिक प्लेस के इस्तेमाल से भी किसी को इस आधार पर नहीं रोक सकते हैं।
यह अनुच्छेद किसी भी राज्य को महिलाओं और बच्चों को विशेष सुविधा देने से नहीं रोकेगा।
इसके अलावा यह आर्टिकल किसी भी राज्य को सामाजिक या शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष प्रावधान बनाने से भी नहीं रोकेगा।

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