सुनील पटेल
रुड़की ।।कांवड़ यात्रा की तैयारियों के नाम पर रुड़की में पेड़ों की टहनियों को काटने की अनुमति मिली, लेकिन कुछ शातिरों ने इस आदेश को चुनिंदा लकड़ियों की तस्करी में बदल डाला!
जिला अधिकारी हरिद्वार के निर्देश पर कवर पट्टी में केवल पेड़ों की टहनियाँ (लूपिंग) काटने की अनुमति वन विभाग द्वारा दी गई थी। लेकिन इसी आदेश की आड़ में वन माफिया ने पूरे के पूरे पेड़ों के तने काट डाले।
ट्विस्ट यहां से शुरू होता है…
जब मामले की भनक उप प्रभागीय वनाधिकारी सुनील बलूनी को लगी, तो उन्होंने अपनी टीम के साथ मौके पर दबिश दी और लकड़ियों से भरी एक ट्रैक्टर ट्रॉली को पकड़ लिया।
लेकिन जैसे ही ट्रॉली पकड़ी गई, असली ड्रामा सामने आया—ट्रैक्टर मौके से गायब था!
अब सवाल यह उठ रहा है कि—
क्या ट्रॉली अपने आप जंगल में चलकर आ गई थी?
जब सुरक्षाबल इंचार्ज मनोज भारती से पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर बात को टाल दिया, जिससे शक और गहरा गया।
SDO सुनील बलूनी बोले:
“केवल लूपिंग की अनुमति थी, लेकिन शिकायत के बाद पता चला कि कुछ माफियाओं ने पेड़ों के तने भी काट डाले। ट्रॉली पकड़ी गई है, जांच चल रही है।”
लेकिन फिर वही बड़ा सवाल—
अगर ट्रैक्टर पकड़ा नहीं गया, तो क्या ट्रॉली जंगल से उड़कर आई थी?
रुड़की क्षेत्र के जंगलों में अक्सर इस तरह की “लकड़ी चोरी” की घटनाएं सामने आती हैं। लेकिन इस बार वन विभाग की ओर से कांवड़ यात्रा के नाम पर दी गई सीमित छूट का फायदा उठाकर पेड़ों की हत्या की गई है।
(जनता की नजर में)
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब “मिलीभगत” का नतीजा है।
ट्रॉली कैसे पकड़ में आई, लेकिन ट्रैक्टर फरार हो गया?
क्या ट्रैक्टर छोड़ना जानबूझकर किया गया?
क्या कुछ लोग अंदरखाने संरक्षण दे रहे हैं?
📌 अब निगाहें इस पर टिकी हैं:
क्या ट्रैक्टर की बरामदगी होगी या मामला ठंडे बस्ते में जाएगा?
लकड़ियों को जब्त किया जाएगा या फिर ‘अज्ञात’ कहकर छोड़ दिया जाएगा?
क्या असली दोषी पकड़े जाएंगे या छोटे कर्मचारियों पर ही जिम्मेदारी डाल दी जाएगी?