उत्तराखंड पुलिस ने सभी प्रदेशवासियों से धोखाधड़ी से बचने के लिए कि यह अपील इन बातों का रखें ध्यान…
नितिन कुमार
जमीन संबंधी धोखाधड़ी के बढ़ते हुए मामलों के देखते हुए Uttarakhand Police की आप सभी से अपील है कि जमीन-मकान के सौदे से पहले दस्तावेजों की बारीकी से जांच-पड़ताल करें। कुछ प्रॉपर्टी डीलर या फिर बिचौलिए आपको जानकारी का आभाव होने के कारण फायदा उठा लेते हैं और आपकी जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई लूट लेते हैं।
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🔷 फर्द: जमीन खरीदने से पहले जमीन के राजस्व विभाग अथवा नगर निगम से सत्यापित प्रति/कागजात लेकर चेक करें। यह भी जांच ले कि भूमि बेचने वाला सम्बन्धित भूमि पर काबिज है या नहीं। जमीन कहीं बैंक में बंधक तो नहीं है।
🔷 खसरा-सजरा: जमीन की खसरा-खतौनी को भी देखें। राजस्व विभाग से नक्शा लेकर मौके पर जाकर जरूर मिलान करें।
🔷 12 साला रिकार्ड: 12 साला, ये वो कागजात हैं जिनको नगर निगम से देखकर पता लगाया जा सकता है कि यह जमीन किसकी है व कितने साल से उक्त जमीन पर काबिज और किस-किस व्यक्ति के नाम वह जमीन उसके नाम पर चली आ रही है।
🔷 जमीन खरीदने से पूर्व विक्रेता के बारे में पूरी जानकारी जुटाएं। उसकी आम शोहरत भी जानें।
🔷 एजेंट या प्रोपर्टी डीलर से पूछताछ के साथ रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डिवेलपमेंट एक्ट, 2016) में रजिस्ट्रेशन नम्बर भी मांगे।
🔷 कुर्रेबन्दी: कुर्रेबन्दी से तात्पर्य जो भूमि सयुंक्त खाते की हो उसको समस्त संयुक्त खातेदारो द्वारा विधिक रुप से राजस्व विभाग से बटबारा वाद के जरिए सब खातेदारो के अलग-अलग खाते तैयार करवाना। ताकि सम्बन्धित खातेदार अपने खाते की भूमि/सम्पत्ति को विक्रय करने के लिए स्वतंत्र हो।
संयुक्त खाते की सम्पत्ति को एक खातेदार से खरीदने से पूर्व समस्त खातेदारों की अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) अथवा उन्हे रजिस्ट्री का भाग बनाया जाना आवश्यक है। ताकि अन्य खातेदार भविष्य में क्रेता को चुनौती न दे पायें।
🔷 रजिस्ट्री के समय बैनामा करने वाले की फोटो और पहचान पत्र जरूय देखें।
🔷 चौहदी: जमीन खरीदते समय दस्तावेजों में दर्ज चौहदी को मौक पर जाकर जरूय देखें।
🔷 समुदाय विशेष या एससी-एसटी की जमीन खदीरने से पहले डीएम से अनुमति जरूर प्राप्त करें।
🔷 भुगतान हमेशा चैक अथवा RTGS से जमीन के मूल मालिक के नाम पर ही करें।
🔷 जो भूमि खरीदनी है उसका भौतिक सत्यापन जरुर करा ले कि मौके पर दिखायी गयी भूमि तथा दस्तावेजों में वर्णित भूमि एक ही है।
🔷 भूमि खरीदने से पूर्व उक्त भूमि में जाकर अड़ोस-पड़ोस से जरुर बातचीत करें तथा जमीन व जमीन के मालिक के बारे में बात जरुर करें। तथा कुछ समय जरुर व्यतीत करे ताकि अगर भूमि कोई वाद या विवाद की स्थिति है तो पता चल सके।
🔷 पॉवर ऑफ अटॉर्नी की स्थिति में मूल मालिक से बात जरुर करें।
🔷 एग्रीमेन्ट हमेशा रजिस्टर्ड ही करायें।
🔷 यदि समय पर पैसा नहीं दे पाएं, तो सम्बन्धित जमीन की रजिस्ट्री करेंगे। इसका अनुबंध में जिक्र अवश्य करें।