रुड़की(संदीप तोमर)।कहते हैं कि किसी भी काम में सफलता तब प्राप्त होती है जब आपके घर परिवार के लोगों की भी उसमें सहमति हो। खास तौर पर राजनीति में तो किसी नेता को महत्वहीन साबित करने के लिए अक्सर ये कहावत कह दी जाती है कि फलां नेता को तो अपने घर के वोट भी नही मिल पाएंगे। इसी संदर्भ को ध्यान में रखते हुए जातिगत तौर पर बात[banner caption_position=”bottom” theme=”default_style” height=”auto” width=”100_percent” group=”%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%ab%e0%a4%be%e0%a4%87%e0%a4%a1″ count=”-1″ transition=”fade” timer=”4000″ auto_height=”0″ show_caption=”1″ show_cta_button=”1″ use_image_tag=”1″] करें तो राजनीति में सम्बंधित नेता की जाति के लोगों का उसके प्रति झुकाव बहुत मायने रखता है। दूसरी जाति के लोग भी नेता की जाति के लोगों के उसके प्रति झुकाव पर नजर रखते हैं और झुकाव को ध्यान में रखकर ही सम्बंधित नेता की ओर कदम बढ़ाते हैं। जाहिर है कि जाति को राजनीति में सबंधित नेता का घर कहा जा सकता है। ऐसे में किसी भी नेता के लिए जरूरी है कि उसका खुद का घर जरूर मजबूत हो।इसके बाद ही पड़ोस,मौहल्ले,इलाके व फिर शहर के समर्थन की बात वह सोच सकता है।
लम्बे समय से रुड़की नगर निगम मेयर पद के चुनाव की तैयारियों में जुटे लोकतांत्रिक जनमोर्चा संगठन के संयोजक सुभाष सैनी ने रविवार को अपनी बिरादरी सैनी समाज के युवाओं का जो सम्मेलन नगर में आयोजित किया,उसे उपरोक्त सन्दर्भ में ही उनके द्वारा अपना घर मजबूत करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। यूं पहले रुड़की पालिका चैयरमैन पद का इतिहास 2003 से लगातार और उसके बाद 2013 में मेयर भी निर्दलीय चुने जाने का तथ्य सामने है,किंतु जैसे निर्दलीय वाला फार्मूला अभी तक कायम रहने की बात सही है वहीं अभी तक यह भी स्थापित हो गया है कि अधिकांशतः भाजपा के परंपरागत मतदाता समझे जाने वाले सैनी बिरादरी के लोग किसी भी हालत में भाजपा का साथ नही छोड़ते। लेकिन एक बात यह भी है कि यह लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में साबित हुआ है। निगम चुनाव की तासीर इन दोनों चुनाव से बिल्कुल अलग होती है। इसके बावजूद सूत्रों के अनुसार सुभाष सैनी को लगता है कि उनकी खुद की बिरादरी जब तक मजबूती से उनके साथ खड़ी नही होगी,तब तक दूसरे वर्ग के लोग भी उनके साथ उस हिसाब से नही जुटेंगे,जैसे जुटने चाहिए। यहां ध्यान रहे कि 2008 के पालिका चैयरमैन चुनाव में प्रदीप बत्रा ने भी पहले अन्य वर्गों को खुद की बिरादरी पंजाबी साथ होने का संदेश दिया था। तभी गैर पंजाबी वर्ग उनके समर्थन में आया था। राजनीति के जानकारों के मुताबिक सुभाष सैनी भी इसी फार्मूले पर चल रहे हैं और इसी के तहत उन्होंने घर मजबूत करने की कवायद में सैनी युवाओं से मन की बात की है। उनका यह कदम कितना सफल होगा?यह वक्त बताएगा। वह भी तब जबकि मोदी लहर पूरे उफान पर है। हालांकि क्षेत्र के सैनी समाज में भी बड़ी संख्या में होने के बावजूद राजनीतिक रूप से पिछड़ने की कसक भी बहुत गहरी है। ऐसे में यह बहुत अहम रूप से देखने वाली बात होगी कि विगत लोकसभा चुनाव में बसपा से सैनी बिरादरी के अंतरिक्ष सैनी प्रत्याशी होने के बावजूद अपनी परम्परागत पार्टी भाजपा को न छोड़ने वाला सैनी समाज निगम चुनाव में भाजपा से किनारा कर जाएगा क्या?इस बाबत जहां खुद सुभाष सैनी को इन चुनावों की तासीर लोकसभा से अलग होने के अभी तक साबित होते आये तथ्य पर भरोसा है,वहीं वह कहते हैं कि कल हुए सम्मेलन में युवाओं ने उन्हें साथ आने का आश्वासन दिया है। खैर रुड़की जिले व बेरोजगारों को रोजगार समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर बड़े आंदोलन करने वाले सुभाष सैनी की स्वीकार्यता उनके अभी तक हुए आयोजनों के जरिये गैर सैनी वर्ग में भी नजर आयी है,अब इस सम्मेलन के बाद आगे यह कितनी बढ़ेगी?यह भी देखने वाली बात होगी। वैसे खुद सुभाष सैनी का कहना है कि सभी वर्गों के लोग उनके साथ हैं,जल्द ही वह सर्व समाज के युवाओं का भी एक सम्मेलन करने वाले हैं।
तो सुभाष ने इसलिए की सैनी युवाओं से मन की बात,वक्त बताएगा घर मजूबत हुआ या नही?
