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नितिन कुमार/ सहारनपुर
2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्लोकल मेडिकल कॉलेज को इस शर्त मान्यता दी थी कि आने वाले वर्षो में कॉलेज प्रसाशन कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर पर समय के साथ काम करेगा और प्रत्येक वर्ष मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया इंस्पेक्शन के बाद कॉलेज को अगले वर्षो के लिए अनुमति प्रदान करता रहेगा |
नीट जैसी मुश्किल परीक्षा में सफलता प्राप्त कर चुके छात्र सरकारी कोउन्सल्लिंग द्वारा इस कॉलेज में भेज दिए गए | एम् बी बी एस का पहले वर्ष तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन धीरे धीरे जैसे ही दूसरा वर्ष शुरू हुआ कॉलेज प्रसाशन ने कोलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना बंद कर दिया ।
और कॉलेज को मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा अपने इंस्पेक्शन में इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी के कारन नए एडमिशन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया | अब स्तिथि यह है की सरकार कोई भी नया मेडिकल का छात्र इस कॉलेज में नहीं भेज रही है ।
और 2016 में प्रवेश लेने वाले छात्र यहाँ सरकारी गलत नीतियों और कॉलेज प्रसाशन के कॉलेज पर ध्यान न देने के कारन यहाँ फंस गए हैं |दुसरे वर्ष पढ़ाई के लिए न तो यहाँ पर डॉक्टर्स हैं , न ही लैब है और न ही अस्पताल में मरीज है |
मुश्किल नीट की परीक्षा छात्रो ने पास की और उनका एडमिशन सरकार द्वारा निर्धारित कॉलेज में कराया, लेकिन अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है की वो जाए तो कहाँ जाए | बच्चे अपने दो साल छह माह की पढ़ाई पूरी कर चुके है और कॉलेज की ऐसी हालत देखकर अवसाद/ डिप्रेशन की स्तिथि में है |