अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाने को आतुर अधिकारियों ने प्रारंभिक स्तर पर इनकी पड़ताल तक नहीं की।
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देहरादून, । अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में प्राइवेट अस्पताल ही नहीं सरकारी सिस्टम की भी बड़ी खामी सामने आई है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध करने में जल्दबाजी दिखाई गई। निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाने को आतुर अधिकारियों ने प्रारंभिक स्तर पर इनकी पड़ताल तक नहीं की। स्थिति यह कि एक-एक डॉक्टर वाले अस्पताल भी योजना में सूचीबद्ध हो गए।
हरिद्वार में सूचीबद्ध कथित मेडिकल कॉलेज पर भी विभागीय रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं। कहा गया कि एक सामान्य अस्पताल ने खुद को मेडिकल कॉलेज दर्शाया। जबकि स्वास्थ्य विभाग को इस बात का अच्छी तरह इल्म है कि प्रदेश में कितने सरकारी व गैर सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूचीबद्धता के लिए आए आवेदनों की कितनी गंभीरता से पड़ताल हुई है।
प्रदेश सरकार ने गत वर्ष अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की शुरुआत की थी। योजना में निश्शुल्क उपचार के लिए 170 सरकारी व निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया। लेकिन छह माह के भीतर ही सरकार के पास योजना में फर्जीवाड़े की शिकायतें आने लगी। यह मामले गलत ढंग से क्लेम लेने व मरीज के पास कार्ड होने के बावजूद शुल्क वसूली से जुड़े थे। अब तक करीब एक दर्जन अस्पतालों पर अलग-अलग कार्रवाई की जा चुकी है। इसके अलावा रेगुलर ऑडिट में अस्पतालों के लगातार नए कारनामे सामने आ रहे हैं।
जिन अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है उनमें अधिकांश एकल चिकित्सक वाले अस्पताल हैं। यह चिकित्सक अस्पताल के संचालक हैं और सरकारी अस्पताल में संविदा चिकित्सक भी। इसके अलावा कुछ अस्पतालों ने उन विशेषज्ञ सेवाओं का भी क्लेम लिया है जो वहां है ही नहीं। अब हरिद्वार के कथित मेडिकल कॉलेज से जुड़े फर्जीवाड़े ने सिस्टम की कलई खोल दी है। जिससे स्पष्ट है कि अस्पतालों को सूचीबद्ध करने से पहले कोई जांच नहीं की गई।