चुनाव गौरव गोयल जीते पर कम नही रिशू के रूप में यशपाल राणा को मिली हार के भी चर्चे,परिवार के लिए 2022 में मजबूत संभावनाएं मान रहे जानकार,बशर्ते…

रुड़की(संदीप तोमर)। पहले खुद के चुनाव लड़ने पर रोक,फिर पत्नी को टिकट मिला तो आपत्ति का तकनीकी मामला,इसके बाद रातों-रात अपने भाई रिशू सिंह राणा को कांग्रेस टिकट दिलवाकर प्रत्याशी के रूप में जनता के सामने एकदम नए चेहरे को लाना और बेहतरीन मुकाबला करते हुए रिशू को 25629 के बड़े मतग्राफ तक ले जाते हुए लगभग 34 सौ वोट के अंतर से दूसरे नम्बर पर रहने के पूरे घटनाक्रम को लेकर पूर्व मेयर यशपाल राणा की हार के भी बहुतेरे चर्चे हो रहे हैं। या यूं कहें कि चुनाव भले गौरव गोयल जीते हो,लेकिन जिस तरह से कांग्रेस की राजनीति में यशपाल राणा चमके और फिर अपने भाई को इस मुकाम तक ले गए,उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि उनकी हार के चर्चे भी कम नही है। बल्कि इससे भी कहीं आगे रिशू सिंह राणा को मिले मतों को देखते हुए राजनीति के जानकारों का मानना है कि राणा परिवार के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में मजबूत संभावनाएं रहेंगी। बशर्ते यशपाल राणा आगामी दो वर्षों में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहते हुए विपक्षी के रूप में मजबूती से फील्ड में डटे रहें।

चुनाव परिणाम के बाद जहां शहर में गौरव गोयल को मिले रिकॉर्ड मतों और उनके पक्ष में चली चुनावी हवा के चर्चे हैं। वहीं रिशू सिंह राणा के रूप में यशपाल राणा को मिली हार के चर्चे भी कम नही है। यूं भले रिशू वार्ड का चुनाव हार गए हों और उसे लेकर भी चर्चाएं है,किंतु जिस हिसाब से यशपाल राणा ने चुनाव प्रबंधन करते हुए एकदम नए चेहरे को इतने बड़े मतग्राफ तक पहुंचाया,उसे राजनीति के जानकार बड़ी बात मान रहे हैं। इन जानकारों का यह भी मानना है कि खुद यशपाल राणा या उनकी पत्नी चुनाव लड़ पाती तो जहां यह आंकड़ा और बढ़ता,वहीं कांग्रेस से कोई और प्रत्याशी होने की स्थिति में यह आंकड़ा शायद यहां तक नही पहुंच पाता। इस स्थिति को देखते हुए राजनीति के जानकार राणा परिवार के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में भी अच्छी संभावनाएं मानकर चल रहे हैं। राणा परिवार से भी यदि यशपाल राणा के चुनाव लड़ने पर रोक वाले मामले में उन्हें कोर्ट से तब तक कोई राहत मिल जाये,या फिर विधानसभा में तकनीकी रूप से यह रोक प्रभावी न होती हो और यशपाल राणा खुद प्रत्याशी बनकर आये तब स्थिति और ज्यादा बेहतर हो सकती है,ऐसा मानना भी राजनीति के जानकारों का है। लेकिन जानकारों का यह भी कहना है कि यशपाल राणा को इसके लिए जनता के बीच विपक्षी नेता के रूप में मजबूती से सक्रिय रहना होगा।

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