वाल्मीकि समाज के उत्थान में भावाधस की भूमिका सराहनीय-प्रदीप बत्रा

रुडकी(संदीप तोमर)भगवान रुडकी : भगवान वाल्मीकि महाराज के पावन मूलमंत्र व मुक्तिमाला आदि महामंत्रो के जाप के द्वारा प्रारम्भ हुए भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज रजि० भावाधस का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ “एक शाम आदि महापुरुषों नाम” के रुप मे भगवान वाल्मीकि मन्दिर परिसर लालकुर्ति रुडकी मे 24 मई 2019 को समपन्न हुआ, कुशी-लव सत्संग मण्डल रुडकी द्वारा वाल्मीकि सत्संग आयोजित कर बृह्मलीन प्रभु रत्नाकर जी एवं वीरेश विकल जी महाराज को याद कर आदि महापुरुषों की संघर्षमयी जीवनी पर भजनो द्वारा प्रकाश डाला गया तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन भावाधस के प्रान्तीय कनवीनर वीरश्रैष्ठ रविन्द्र बब्बर जी ने किया


इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप मे पहुँचे मा० प्रदीप बत्रा जी शहर विधायक रुडकी, ने स्थापना दिवस पर कार्यक्रम के सफल आयोजन पर आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वाल्मीकि समाज मे व्याप्त बुराइयों को दुर कर सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक आदि क्षेत्रों मे भावाधस द्वारा किये जा रहे कार्य सराहनीय है उन्होंने कहा कि एतिहासिक दृष्टिकोण से वाल्मीकि समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है किन्तु वाल्मीकि समाज को वो सम्मान प्राप्त नहीं हुआ जिसका वो असली हकदार है उन्होंने कहा कि देश मे सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षिक रुप से दबे कुचले शोषित वर्गो को मुख्य धारा मे लाने की अति आवश्यकता है जिससे एक मजबूत भारत का निर्माण हो सके, कार्यक्रम के मुख्य संयोजको द्वारा मा० विधायक प्रदीप बत्रा का आसमानी अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया

इस अवसर पर सहारनपुर से विशिष्ट अतिथि के रुप मे पहुँचे भावाधस के राष्ट्रीय संचालक वीरश्रैष्ठ अजय बिरला ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि, कार्यकर्ताओं मे निष्ठा, कर्मठता, लगनशीलता एवं समर्पण की भावनाए, भावाधस मनिषियो की शिक्षाओ का प्रतिफल है “भावाधस की क्या पहचान त्याग, त्याग, तपस्या और बलिदान” संगठन के विशाल स्वरूप को उपरोक्त पंक्तियाँ चरितार्थ करती है लम्बे समय से वाल्मीकि समाज की बिखरी हुई शक्ति संत, नेता, युवा, बुद्धिजीवी एवं मात्रशक्तियो एकत्रित करने तथा वाल्मीकि समाज मे धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक रुप से शून्य पडी इस चेतना को जाग्रत करने के लिए सन 1964 को पुजनीय धर्मगुरु प्रभु रीषिनाथ रत्नाकर जी महाराज द्वारा जलाई गई इस मशाल को भावाधस के विभिन्न मनिषियो सहित पुजनीय वीरेश विकल जी महाराज द्वारा अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर लम्बे समय तक जलाये रखा अंततः विरासत मे मिले उनके विचार आज भी जिंदा है यह उनकी प्रेरणाओ का प्रतिफल है कि मान, सम्मान एवं अपने अधिकारो प्रति जागरुक होकर आज भावाधस का प्रत्येक सिपाही तन, मन, धन और समय का महत्वपूर्ण योगदान देकर समाज के नवनिर्माण मे अग्रिम भुमिका निभा रहा है
उन्होंने कहा कि आज परम आदरणीय वीरेश विजय दानव जी मुख्य संचालक, के नेतृत्व में भावाधस देश के कई राज्यो मे निरन्तर आगे बढ रहा है। उनकी दूरगामी सोच और मजबूत इरादों के चलते वाल्मीकि समाज शक्ति के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि समाज को आधुनिक एवं प्रगतिशील रुप देने तथा आदि धर्म {वाल्मीकि धर्म} के वास्तविक रुप को बचाए रखने के लिए आओ हम सब मिलकर प्रभु रत्नाकर जी एवं वीरेश विकल जी महाराज के सपनों को साकार करे तथा परम आदरणीय वीरेश विजय दानव जी मुख्य संचालक भावाधस, के नेतृत्व में अग्रसर भावाधस क्रांति रुपी रथ को गति प्रदान कर वाल्मीकि समाज के नवनिर्माण मे सहभागी बने, इस अवसर पर कार्यक्रम को सफल बनाने वाले विशेष सहयोगीयो का तथा संगठन के निष्ठावान कार्यकर्ताओ एवं वरिष्ठ समाज सेवियो को सम्मान चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया
इस अवसर पर वीर सुरेश कांगडा जिला प्रभारी, वीर आकाश कांगडा जिला संयोजक, सोनु बग्गन- जिला सचिव, वीर धर्मेन्द्र जिला लेखानिरक्षक, वीर रजनीश बिरला जिला उपाध्यक्ष, वीर रवि टांक जिला प्रचार सचिव, वीर सुशील झंजोटे नगर अध्यक्ष रुडकी, विनोद गुजराल नगर कोषाध्यक्ष, वीर सोनी नगर सचिव, वीर राजकुमार नगर उपाध्यक्ष वीर आनन्द चिनालिया नगर प्रचार सचिव आदि के द्वारा उत्तराखण्ड एवं उत्तर-प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रो से पधारे भावाधस कार्यकर्ताओ सहित, वरिष्ठ समाज सेवियो नेताओं, युवाओं एवं मात्रशक्तियो का जिला संगठन की युनिट द्वारा आभार प्रकट किया गया तथा प्रशाद वितरण कर विशाल भंडारे का आयोजन किया गयावाल्मीकि महाराज के पावन मूलमंत्र व मुक्तिमाला आदि महामंत्रो के जाप के द्वारा प्रारम्भ हुए भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज रजि० भावाधस का स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ “एक शाम आदि महापुरुषों नाम” के रुप मे भगवान वाल्मीकि मन्दिर परिसर लालकुर्ति रुडकी मे 24 मई 2019 को समपन्न हुआ, कुशी-लव सत्संग मण्डल रुडकी द्वारा वाल्मीकि सत्संग आयोजित कर बृह्मलीन प्रभु रत्नाकर एवं वीरेश विकल महाराज को याद कर आदि महापुरुषों की संघर्षमयी जीवनी पर भजनो द्वारा प्रकाश डाला गया तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन भावाधस के प्रान्तीय कनवीनर वीरश्रैष्ठ रविन्द्र बब्बर जी ने किया
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप मे पहुँचे मा० प्रदीप बत्रा जी शहर विधायक रुडकी, ने स्थापना दिवस पर कार्यक्रम के सफल आयोजन पर आयोजकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वाल्मीकि समाज मे व्याप्त बुराइयों को दुर कर सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक आदि क्षेत्रों मे भावाधस द्वारा किये जा रहे कार्य सराहनीय है उन्होंने कहा कि एतिहासिक दृष्टिकोण से वाल्मीकि समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है किन्तु वाल्मीकि समाज को वो सम्मान प्राप्त नहीं हुआ जिसका वो असली हकदार है उन्होंने कहा कि देश मे सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षिक रुप से दबे कुचले शोषित वर्गो को मुख्य धारा मे लाने की अति आवश्यकता है जिससे एक मजबूत भारत का निर्माण हो सके, कार्यक्रम के मुख्य संयोजको द्वारा मा० विधायक प्रदीप बत्रा का आसमानी अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया
इस अवसर पर सहारनपुर से विशिष्ट अतिथि के रुप मे पहुँचे भावाधस के राष्ट्रीय संचालक वीरश्रैष्ठ अजय बिरला ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि, कार्यकर्ताओं मे निष्ठा, कर्मठता, लगनशीलता एवं समर्पण की भावनाए, भावाधस मनिषियो की शिक्षाओ का प्रतिफल है “भावाधस की क्या पहचान त्याग, त्याग, तपस्या और बलिदान” संगठन के विशाल स्वरूप को उपरोक्त पंक्तियाँ चरितार्थ करती है लम्बे समय से वाल्मीकि समाज की बिखरी हुई शक्ति संत, नेता, युवा, बुद्धिजीवी एवं मात्रशक्तियो एकत्रित करने तथा वाल्मीकि समाज मे धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक रुप से शून्य पडी इस चेतना को जाग्रत करने के लिए सन 1964 को पुजनीय धर्मगुरु प्रभु रीषिनाथ रत्नाकर जी महाराज द्वारा जलाई गई इस मशाल को भावाधस के विभिन्न मनिषियो सहित पुजनीय वीरेश विकल जी महाराज द्वारा अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर लम्बे समय तक जलाये रखा अंततः विरासत मे मिले उनके विचार आज भी जिंदा है यह उनकी प्रेरणाओ का प्रतिफल है कि मान, सम्मान एवं अपने अधिकारो प्रति जागरुक होकर आज भावाधस का प्रत्येक सिपाही तन, मन, धन और समय का महत्वपूर्ण योगदान देकर समाज के नवनिर्माण मे अग्रिम भुमिका निभा रहा है
उन्होंने कहा कि आज परम आदरणीय वीरेश विजय दानव जी मुख्य संचालक, के नेतृत्व में भावाधस देश के कई राज्यो मे निरन्तर आगे बढ रहा है। उनकी दूरगामी सोच और मजबूत इरादों के चलते वाल्मीकि समाज शक्ति के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि समाज को आधुनिक एवं प्रगतिशील रुप देने तथा आदि धर्म {वाल्मीकि धर्म} के वास्तविक रुप को बचाए रखने के लिए आओ हम सब मिलकर प्रभु रत्नाकर जी एवं वीरेश विकल जी महाराज के सपनों को साकार करे तथा परम आदरणीय वीरेश विजय दानव जी मुख्य संचालक भावाधस, के नेतृत्व में अग्रसर भावाधस क्रांति रुपी रथ को गति प्रदान कर वाल्मीकि समाज के नवनिर्माण मे सहभागी बने, इस अवसर पर कार्यक्रम को सफल बनाने वाले विशेष सहयोगीयो का तथा संगठन के निष्ठावान कार्यकर्ताओ एवं वरिष्ठ समाज सेवियो को सम्मान चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया
इस अवसर पर वीर सुरेश कांगडा जिला प्रभारी, वीर आकाश कांगडा जिला संयोजक, सोनु बग्गन- जिला सचिव, वीर धर्मेन्द्र जिला लेखानिरक्षक, वीर रजनीश बिरला जिला उपाध्यक्ष, वीर रवि टांक जिला प्रचार सचिव, वीर सुशील झंजोटे नगर अध्यक्ष रुडकी, विनोद गुजराल नगर कोषाध्यक्ष, वीर सोनी नगर सचिव, वीर राजकुमार नगर उपाध्यक्ष वीर आनन्द चिनालिया नगर प्रचार सचिव आदि के द्वारा उत्तराखण्ड एवं उत्तर-प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रो से पधारे भावाधस कार्यकर्ताओ सहित, वरिष्ठ समाज सेवियो नेताओं,युवाओं एवं मात्रशक्तियो का जिला संगठन की युनिट द्वारा आभार प्रकट किया गया तथा प्रसाद वितरण कर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।

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