फिल्म अभिनेता रितिक रोशन की सुपरहिट फिल्म ‘सुपर 30’ सिनेमाघरों में आज रिलीज हुईl फिल्म बिहार के गणितज्ञ आनंद कुमार के जीवन से प्रेरित हैl इस फिल्म में रितिक रोशन ने आनंद कुमार की ही भूमिका निभाई हैl इस फिल्म को देखने कई दर्शक सिनेमाघर में पहुंचेl कईयों ने फिल्म का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने को लेकर ख़ुशी भी जाहिर कीl
फिल्म ‘सुपर 30’ में ऋतिक रोशन के इस अवतार को देखने के लिए दर्शक आतुर नजर आएl वहीं कई दर्शक फिल्म के ट्रेलर और म्यूजिक के कारण भी ऋतिक रोशन की फिल्म देखने के लिए उत्सुक नजर आएl फिल्म के मध्यांतर में कई लोगों की आंखों से आंसू बहते नजर आएl सभी ने फिल्म के पहले भाग की सराहना दिल खोलकर कीl साथ ही यह भी कहा कि इस फिल्म में हर गरीब घर की सच्चाई दिखाने का प्रयत्न किया गया हैंl
मध्यांतर के बाद फिल्म की कहानी में कई नाटकीय मोड़ आते है, जो फिल्म को रोचक बनाने के उद्देश्य से डाले गए हैंl फिल्म का अंत सुखद हैंl फिल्म के अंत में लोगों के चेहरे पर सफलता की मुस्कुराहट थीl फिल्म में सभी को ऋतिक रोशन की भूमिका और फिल्म की कहानी बहुत पसंद आईl वहीं कई लोगों ने ऋतिक रोशन के लुक और बिहारी बोलने के अंदाज की भी सराहना कीl कई लोगों ने जिस प्रकार बिहार के जीवंत चित्र पर्दे पर दिखाए गए हैl उसकी भी सराहना कीl
फिल्म सुपर 30 के शुरुआती हिस्से में आनंद कुमार के कॉलेज के जीवन को दर्शाया गया है कि वह किस प्रकार संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते हैंl गणित में उनकी रुचि होती है और संसाधनों के अभाव के बाद भी उन्हें जुनूनी हद तक गणित से प्यार होता हैंl इसी के चलते उनका कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में चयन हो जाता है लेकिन वह पैसे और सम्पन्न परिवार से नहीं होने के कारण वहां एडमिशन नहीं ले पातेl इसी आपाधापी में उनके पिताजी की मृत्यु हो जाती है और घर का सारा दारोमदार रितिक रोशन के कंधे पर आ जाता है और वह पापड़ बेचने लगते हैंl
इसी बीच उनकी किस्मत पलटती है और वह एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने लगते हैंl इसके माध्यम से उन्हें पैसे भी अच्छे मिलने लगते हैं लेकिन एक दिन उन्हें अचानक समझ आता है कि उनका जीवन यह सब करने के लिए नहीं बना है और जिस प्रकार उन्होंने संघर्षपूर्ण जीवन जिया हैl ऐसा जीवन भारत में करोड़ों गरीब बच्चे जी रहे हैंl जोकि प्रतिभावान तो है लेकिन उनके पास संसाधनों की कमी होने के चलते उन्हें सही अवसर नहीं मिलताl इन्हीं गरीब बच्चों के सपनों को पूरा करने में ऋतिक रोशन जुट जाते हैंl
फिल्म का अंत सकारात्मक हैl फिल्म आपको अंत तक आप की सीट से बांधे रखती हैl यह फिल्म उन सभी लोगों के लिए हैं जोकि जीवन में संसाधनों की कमी के बाद भी अपने इच्छा शक्ति के बल पर सफल होने का प्रयास करते रहते हैंl
निर्देशक विकास बहल पर लगे MeToo आरोप से बरी होने के बाद उन्होंने बहुत अच्छे से कमबैक किया हैl फिल्म में मृणाल ठाकुर की भूमिका भी अच्छी हैl वहीं फिल्म में पंकज त्रिपाठी भी एक बार फिर अपनी भूमिका से लोगों को हंसाने में सफल हुए हैंl इस फिल्म को ऑडियंस ने पांच में से साढ़े तीन स्टार दिए हैंl 154 मिनट की यह फिल्म दर्शकों में मन में एक आशा की किरण पैदा करने में सफल होती हैंl
दर्शकों ने इस फिल्म को दिए पांच में से साढ़े तीन स्टार