किस मेयर प्रत्याशी ने जनता के लिए क्या संघर्ष किया?सार्वजनिक बहस में करें खुलासा,मेयर प्रत्याशी सुभाष सैनी की खुली चुनौती….

रुड़की(संदीप तोमर)। उक्रांद समर्थित निर्दलीय मेयर प्रत्याशी लोकतांत्रिक जनमोर्चा संरक्षक सुभाष सैनी ने मेयर पद पर चुनाव लड़ रहे सभी प्रमुख दलीय व निर्दलीय प्रत्याशियों को सार्वजनिक रूप से खुली बहस करने की चुनौती देते हुए कहा कि इन लोगों को जनता को बताना चाहिए कि मेयर रहने वाले या मेयर के विरोध में रहने वालों ने विपक्ष के रूप में आखिर जनता के लिए किया क्या है?

आज आदर्शनगर क्षेत्र में जनसम्पर्क के दौरान हुई बातचीत में सुभाष सैनी ने कहा कि वह लोकतांत्रिक जनमोर्चा के बैनर पर न सिर्फ रुड़की जिले की मांग और बेरोजगारों को रोजगार का मुद्दा लगातार उठाते रहे हैं।इन मुद्दों पर उन्होंने कई बड़ी बड़ी रैलियां की हैं। लेकिन रुड़की जिले का मुद्दा न तो भाजपा के एजेंडे में है और न ही कांग्रेस के। यह लोग फर्जी सांगठनिक रुड़की जिला तो बना सकते हैं पर वास्तविक जिला नही। उन्होंने 2005 से अब तक लगातार बिजली पानी से लेकर सीवरेज,जलभराव आदि मसलों को लेकर आंदोलन किये हैं। लेकिन क्या जो अन्य लोग मेयर का चुनाव लड़ रहे हैं,वह कभी जनता के मुद्दों को लेकर बोले। यशपाल राणा के मेयर कार्यकाल की भाजपा प्रत्याशी मयंक गुप्ता अब तो बुराई करते हैं लेकिन जब यशपाल राणा मेयर थे,तब मयंक गुप्ता कहां थे। यही बात भाजपा के बागी गौरव गोयल पर लागू होती है। फिर आज अपने भाई को चुनाव लड़ा रहे यशपाल राणा से भी सवाल है कि जब वह 2017 में पद से हटे उसके बाद से आज तक निगम से सम्बंधित समस्याओं को उन्होंने कितनी बार उठाया। या फिर मेयर रहते वह समस्याओं का हल क्यों नही कर पाए? ऐसा ही सवाल मयंक गुप्ता और गौरव गोयल पर लागू होता है कि 2017 के बाद से अभी तक निगम की व्यवस्था(गौरव हाल ही में भाजपा से अलग हो गए हैं) उनकी सरकार के हाथ में है तो भी जनता को समस्याओं से मुक्ति क्यों नही मिल पाई?या इन नेताओं ने कितनी बार समस्याओं को लेकर अपनी सरकार को गलत ठहराया। जनता की आवाज उठाने का सवाल बसपा प्रत्याशी राजेन्द्र बाड़ी पर भी लागू होता है। सुभाष सैनी ने कहा कि दोनों दलों कांग्रेस व भाजपा ने सिर्फ धार्मिक आधार पर शहर को बांटने का काम किया है। जबकि भाजपा में रहते कभी गौरव गोयल ने भी इस पर आवाज नही उठायी तो राजेन्द्र बाड़ी तो इस मसले पर पूरी तरह चुप थे। सुभाष सैनी ने इन सभी प्रत्याशियों को इन सवालों को लेकर सार्वजनिक रूप से खुली बहस की चुनौती दी है?देखते है,इसे कौन प्रत्याशी स्वीकार करता है।

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