रमजान का रोजा इंसान को शारीरिक लाभ के साथ-साथ उसे गुनाहों से बचाने वाला बनाता है: हाजी नौशाद अहमद


इमरान देशभक्त /रुड़की
रूड़की।समाजसेवी हाजी नौशाद अहमद रमजान माह के मुबारक मौके पर रोशनी डालते हुए कहते हैं कि रमजान का रोजा इंसान को शारीरिक लाभ के साथ-साथ उसे गुनाहों से बचाने वाला भी बनाता है,जो गुनाहों से बच गया समझिए कि वह दुनिया के इंसानी जिंदगी में कामयाब हो गया,क्योंकि मरने के बाद आखिरत में जो जितना परहेजगार होगा,वह उतना ही अल्लाह पाक की रहमत का हकदार होगा।हाजी नौशाद अहमद कहते हैं कि रमजान का पहला अशरा जो रहमतों का है अब खत्म हो चुका है और दूसरा असरा शुरू हो चुका है,इसमें मगफिरत (गुनाहों से मुक्ति) का असरा है जिसमें अपने गुनाहों से तौबा कर दिन-रात खुदा की इबादत करनी चाहिए।रमजान की पहली रात में ही शैतान को वेडियों में जकड़ दिया जाता है। अर्थात रमजान की बरकत से अल्लाह के बंदों में नेकी रगबत होती है और अच्छे आमाल की कसरत होती है।इसलिए यह कहना है कि शैतान बांध दिया जाता है यानी जब आमाल अच्छे होंगे तो शैतान खुद-ब-खुद बंध जाएगा और बुराई कम हो जाएगी,तो दोजख का दरवाजा भी बंद हो जाएगा और जन्नत का दरवाजा खुल जाएगा।इस महीने में मुसलमानों को चाहिए कि वह जरूरतमंद की मदद करने के लिए आगे आए और मानव सेवा कर अल्लाह को खुश करने का प्रयास करें।यह महीना इंसानियत के अनेक फर्जों की भी याद कराता है।

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