प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री से लगेंगे कांग्रेस को पंख कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर

नितिन कुमार


नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव तथा लखनऊ सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों का प्रभारी बना कर अपना ब्रह्मास्त्र निकाल लिया है। इसके तीन प्रमुख संदेश गये हैं।
पहला यह कि कांग्रेस अकेले बिना डरे सबसे शक्तिशाली सत्ताधारी पार्टी भाजपा और एऩडीए से सीधी लड़ाई के लिए प्रियंका गांधी तक को राजनीति में उतार दिया। दूसरा यह कि प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों का प्रभारी बना कर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दो उपमुख्यमंत्रियों को घेरने की चाल चल दी। इसी पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाराणसी है जहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सांसद हैं। लखनऊ भी है जहां से केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सांसद है। गोरखपुर भी है जहां के योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। यानी प्रियंका गांधी को तीनों को घेरने की कठिन जिम्मेदारी दी गई है। राज्य के एक उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या इलाहाबाद के हैं, दूसरे उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा लखनऊ के हैं। इस तरह से केन्द्र सरकार के सर्वशक्तिशाली पहले व दूसरे व्यक्ति लखनऊ सहित इसके पूरब ( उत्तर प्रदेश) से और उ.प्र. सरकार के सर्व शक्तिशाली पहले व दो दूसरे व्यक्ति भी यहीं से हैं। इसके चलते प्रियंका ने अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही 2022 में होने वाले उ.प्र. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी कड़ी चुनौती स्वीकार की है।
तीसरा यह कि प्रियंका को महासचिव बनाने से पूरे देश में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं, नेताओं में उत्साह आ गया है । बुजुर्गों , युवकों से लेकर महिलाओं तक में भी। ब्राह्मण मतदाता भी अब एकजुट होकर कांग्रेस की तरफ आयेगा।
इस बारे में उ.प्र. के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाने से पार्टी में और जान आ गयी है। राहुल गांधी ने कठिन समय में जिस तरह से जूझकर, सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेकर, सीधे चुनौती देकर, सीधे चौकीदार को चोर कहकर घेरा, उसका संदेश जनता में गया। इस तरह से उन्होंने मोदी को, उनकी केन्द्र व राज्य सरकारों को घेरकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर कांग्रेस को जीत दिलाई। अब इस जीत को और आगे बढ़ाने के लिए जिस ताकत की जरूरत थी वह ताकत पार्टी महासचिव के रूप में प्रियंका मिल गईं।
बीएचयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि अब भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव आसान नहीं रहा। अब उसके लिए लड़ाई 2014 वाली नहीं होगी। अब भाजपा उ.प्र. में ही घिर जायेगी और इसका बहुत असर पड़ेगा। प्रियंका के महासचिव बनाने की खबर सुनते ही पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ गया है।अब कांग्रेस को बहुत बड़ा स्टार कम्पेनर मिल गया । अब राहुल व प्रियंका दो स्टार कम्पेनर हो गये।
इस मुद्दे पर सपा सांसद रवि वर्मा का कहना है कि कोई स्वीकार करे या नहीं करे, इसे परिवारवाद या कोई और वाद कहकर अपनी खीझ मिटावे, पर सच्चाई यह है कि प्रियंका के कांग्रेस का महासचिव बनाने से कांग्रेस को बल मिलेगा । इसका असर चुनाव पर भी पड़ेगा। कांग्रेस को लाभ होगा। भाजपा सांसद लाल सिंह बड़ोदिया का भी मानना है कि कुछ तो असर पड़ेगा। बिहार जदयू अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद वशिष्ठ सिंह का कहना है कि प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारने, महासचिव बनाने से कोई अंतर नहीं पड़ेगा। वह तो पहले से ही पर्दे के पीछे से पार्टी का कार्य देख रही थीं। यदि कुछ असर पड़ेगा भी तो उत्तर प्रदेश में पड़ सकता है ,लेकिन बिहार में कोई असर नहीं पड़ेगा।
बीएचयू से एमबीए किये और विदेश में नौकरी करने के बाद अब हैदराबाद में प्रवास कर रहे विनोद मिश्रा का कहना है कि नि:संदेह प्रियंका गांधी ने यदि संभलकर राजनीति की, घमंड छोड़कर विनम्रता पूर्वक, विरासत में पार्टी व सत्ता की दावेदारी मिलने को भूलकर जनता के बीच कार्य करें, युवकों, महिलाओं , बेरोजगारों, गरीबों से मिलें, उनके कार्य करें तो वह आज देश को जिस तरह के नेता की जरूरत है, जिस तरह की पार्टी की जरूरत है उसको काफी हद तक पूरा कर सकती हैं। हालांकि उनके इस राजनीतिक सफर में रोड़ा उनके पति के होने की संभावना है। क्योंकि सत्ताधारी पार्टी अब उनके पति को घोटालों के तमाम आरोपों में लपेटने, जेल में बंद करने की कोशिश करेगी।
इस बारे में उ.प्र. के वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि प्रियंका गांधी के नई भूमिका में आने से उत्तर प्रदेश में लड़ाई मुश्किल हो गई है। इससे राज्य में कांग्रेसी पहले से मजबूत हो जायेगी। जनता में भी इसको लेकर रिस्पांस पाजिटिव है। प्रियंका ना केवल कांग्रेस में बल्कि पार्टी की विपक्षी दलों के साथ गठबंधन में भी कैटालिस्ट का काम करेंगी। यही वजह है कि इसका जिस पार्टी को नुकसान होने की अधिक संभावना है, उसके नेता एक स्वर में कहने लगे हैं कि राहुल जब फेल साबित होने लगे हैं तो परिवारवादी पार्टी में उनकी बहन प्रियंका को महासचिव बनाया गया है। ऐसा कहने वाले जानते हैं कि अब कांग्रेस अगले चुनाव तक बहुत मजबूत हो जायेगी। भाजपा इससे चिंतिति तो हो ही गई है। भाजपा व मोदी से टक्कर व काट के लिेए अब कांग्रेस के पास राहुल और प्रियंका दो स्टार कम्पेनर हो गये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *