रुड़की(संदीप तोमर)। शहर में पंजाबी बिरादरी के चार संगठन हैं। जिनमें भाजपा नेता संजय अरोड़ा के नेतृत्व वाला पंजाबी संगठन अभी शांत है,वजह यह कि खुद संजय अरोड़ा (जैसा कि होना भी चाहिये) कोरोना के खतरे के दृष्टिगत घर से बहुत कम बाहर निकल रहे हैं। लॉक डाउन से अभी तक उनकी दाढ़ी नही बनी हैं,कहीं एक आध जगह वह नजर भी आये हैं तो बढ़ी हुई दाढ़ी में ही नजर आए हैं। संजय अरोड़ा और उनके नेतृत्व वाला पंजाबी संगठन कोरोना से डरा हुआ है तो दूसरे संगठन जिसका नेतृत्व ओमप्रकाश सेठी करते हैं,देवभूमि पंजाबी महासभा की गतिविधियां भी शांत हैं। इनसे अलग शहर में सक्रिय दो अन्य पंजाबी संगठनों के नेताओं को कोरोना का कोई भय नही है। इन दोनों संगठनों के लोगों ने कोई दवा खा ली है या फिर कोई अन्य कारण है,यह तो पता नही लेकिन इनकी गतिविधियों को देखकर लगता है कि इनके मन में पूरा विश्वास है कि इन्हें कोरोना नही हो सकता।
उपरोक्त दोनों संगठनों में बात पहले हाल ही में महानगर अध्यक्ष बने हनीश अरोड़ा के नेतृत्व वाले पंजाबी संगठन की। हनीश अरोड़ा अध्यक्ष के अलावा कई अन्य नए पदाधिकारी इस संगठन में पिछले दिनों चुने गये। यूं तो इन नए पदाधिकारियों ने होर्डिंग्स आदि लगवाने के रूप में नियुक्ति को लेकर ऐसे खुशियां जताई जैसे यह लोग मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट बन गए हों,लेकिन चलिए बिरादरी के लिए कुछ करने की भावना को बल मिलने के दृष्टिगत नियुक्ति को लेकर खुशी मनाए जाने तक बात सीमित रहती तो भी ठीक था,पर इन पदाधिकारियों के स्वागत कार्यक्रमों की ऐसी होड़ मची कि न तो स्वागत करने वालों ने सोचा और न स्वागत कराने वालों ने। सभी भूल गए कि कोरोना अपने पीक पर चल रहा है। पिछले दिनों सम्पन्न हुए इन स्वागत कार्यक्रमों में हुई गलबहियां बताती हैं कि किसी को कोरोना का कोई डर ही नही था। शुक्र यह है कि भले देरी से सही,अब इन लोगों के स्वागत कार्यक्रम रुक चुके हैं अन्यथा एक पखवाड़े भर तो स्वागत करवाने वाले ऐसे घूमे जैसे दीपावली पर सोन पपड़ी मिठाई का डिब्बा,जो घर घर घूमता हैं।
खैर उपरोक्त पंजाबी संगठन के लोग बामुश्किल घर बैठे थे कि दूसरे पंजाबी संगठन के लोग कोरोना को मात देने घर से निकल पड़े। यह है नवीन गुलाटी के नेतृत्व वाला पंजाबी संगठन। इस संगठन के लोगों ने समाज के मेघावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने का बीड़ा पीक कोरोना टाइम में उठाया है तो शायद इन लोगों को भी कोरोना नही हो सकता है? ऐसा ही कुछ है तभी शायद हाल में समाज के एक मेघावी छात्र को सम्मानित करने उसके घर पहुंचे इन पदाधिकारियों में से अन्य लोगों सहित दस लोगों ने कोई मास्क नही लगाया है। (फोटो यहां प्रस्तुत है-वीडियो भी सुरक्षित है) वैसे तो सवाल यह भी है कि मेधावी छात्र या छात्राएं अभी कहीं जा रहे हैं क्या? जो कोरोना पीक टाइम में उन्हें सम्मानित करने की आफत आन पड़ी। खैर इस कार्यक्रम में संगठन के महामंत्री संजीव कक्कड़ कोरोना से बेख़ौफ़ दूसरे लोगों से सटकर खड़े हैं। पढ़े लिखे तबके से आने वाली संगठन की महिला नेत्री पूजा नन्दा और उनके पति पंकज नन्दा के साथ ही संगठन नेता भरत कपूर भी पूरी तरह कोरोना भयहीन नजर आ रहे हैं। दिलचस्प यह कि पंकज नन्दा ने इस कार्यक्रम की जो फेसबुक पोस्ट की है उसमें दावा किया है कि शोसल दूरी का पालन कार्यक्रम में किया गया,जबकिं चित्र ही बता रहा है कि शोसल दूरी का ही पालन नही किया गया। बहरहाल इस सबको देखते हुए प्रशासन को चिकित्सा विभाग से उपरोक्त लोगों की जांच करानी चाहिये कि क्या वाकई इन लोगों को कोरोना नही हो सकता? और यदि ऐसा नही है तो उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।