(खोल दूं पोल-निगम चुनाव) इसे कहते है चित भी मेरी और पट भी मेरी,जीते तो विवेक चौधरी और हारे तो गौरव चौधरी….

रुड़की(संदीप तोमर)। खबर में प्रकाशित चित्रों को देखकर समझ आ जायेगा कि पूर्व राज्यमंत्री,पूर्व झबरेड़ा पालिका चैयरमैन एवं पूर्व विधायक चौ.यशवीर सिंह के पुत्र डा.गौरव चौधरी के साथ एक चित्र में बाइक पर और एक चित्र में कार में,उनके साथ विवेक चौधरी नामक जो शख्स बैठा है,वह उनका कितना खास है। वैसे राजनीतिक क्षेत्र के लोग या चौधरी परिवार को थोड़ा भी जानने वाले लोग इस बात को पूरे तौर पर जानते हैं कि विवेक चौधरी की हैसियत डा.गौरव चौधरी के लिए परछाई से कम नही हैं।

जाट बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले विवेक चौधरी झबरेड़ा से ही हैं और वर्षों से चौ.यशवीर सिंह व डा.गौरव चौधरी के घरेलू सदस्य बनकर निजी सचिव/सलाहकार की जिम्मेदारी निभाते आ रहे हैं। कहा जाता है राजनीति में पुरजोर सक्रिय रहते चौ.यशवीर सिंह और अब डा.गौरव चौधरी भी बिना विवेक चौधरी की सलाह के कोई काम नही करते। यहां तक कि कई ऐसे निर्णय,जिनसे चौधरी परिवार को राजनीतिक नुकसान हुआ,में भी कई बार विवेक की सलाह ही कारण बनी,ऐसा कहा जाता है। लेकिन इसके बावजूद आज तक विवेक का इस परिवार पर प्रभाव समाप्त नही हुआ है।

इस स्थिति के बीच एक घटनाक्रम हुआ है और वह किसी योजना के तहत हुआ है या फिर प्राकृतिक तौर पर?यह तो नही पता। किन्तु विवेक चौधरी के लिए चित भी मेरी और पट भी मेरी वाले हालात बन गए हैं। दरअसल विवेक चौधरी डिफेंस कालोनी वार्ड 11 से भाजपा प्रत्याशी हैं। डा.गौरव चौधरी का निवास भी यहीं है। ऐसे में विवेक की जीत या हार सीधे डा.गौरव चौधरी की राजनीतिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगी। यदि विवेक चौधरी जीते तो जहां उनके लिए खुद का यह दम्भ भरना आसान हो जाएगा कि वह अपने दम से जीते(भले वह ऐसा न कहे),वहीं यदि हार हुई तो लोग यह जरूर कहेंगे इतने कद्दावर नेता पूर्व राज्यमंत्री डा.गौरव चौधरी अपने गृह वार्ड में एक पार्षद को चुनाव नही जितवा पाए। वह भी उसे जो उनका निजी सचिव नही परिवार के सदस्य जैसा है। हार की स्थिति में चौ.यशवीर सिंह तक की तुलना उनके भाई चौ.कुलवीर सिंह तक से होगी। क्योंकि विगत झबरेड़ा चैयरमैन चुनाव में डा.गौरव के सामने अपने पुत्र मानवेन्द्र सिंह को चेयरमैनी जितवाने का श्रेय जहां चौ.कुलवीर सिंह की झोली में है,वहीं यह तथ्य भी अपनी जगह स्थापित है कि विधानसभा चुनाव में झबरेड़ा भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल की जीत की राह भी चौ.कुलवीर सिंह के समर्थन से ही निकल पायी थी। वैसे यदि विवेक की वार्ड मेम्बरी में हार हुई तो आजकल चौ.यशवीर सिंह के पाले में चल रहे झबरेड़ा भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल के राजनीतिक वजूद पर भी चर्चाएं होंगी। इस कारण से डा.गौरव चौधरी खेमे को विवेक की जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी और हां,इस स्थिति के लिए भी तैयार रहना होगा कि जीतने पर कल विवेक चौधरी यह भी कह सकते हैं कि मैं तो अपने दम पर जीता??

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