गौरव वत्स रुड़की हब
मजबूरी का नाम महात्मा गांधी यह कहावत तो सभी ने सुनी होगी यही कहावत रुड़की की राजनीति में भी देखने को मिल रही है जी हां हम बात कर रहे हैं रुड़की महापौर गौरव गोयल की जो आज भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं ऐसा उन्हें क्या मजबूरी में करना पड़ रहा है यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि आज पूरे शहर में चर्चा है कि मेयर गौरव गोयल निर्दलीय महापौर विफल साबित हुए हैं अब भारतीय जनता पार्टी का सहारा लेकर शायद कुछ शहर के लिए कर पाए यह देखने वाली बात होगी अक्सर कार्यक्रमों में देखा जाता था कि भारतीय जनता पार्टी के बिना वह नगर निगम चलाने में कुछ हल्के लग रहे थे शहर में यहां तक भी चर्चा थी कि मेयर गौरव गोयल की निगम में कोई अधिकारी नहीं सुन रहा है इन सब चर्चाओ आज बल मिल गया लेकिन यह भारतीय जनता पार्टी है यहां पर वही नेता कामयाब हो पाता है जो अपने आप में बडा रसूख रखता है हाल ही में देखने में आ रहा है कि इस पार्टी में सिर्फ कार्यवान कार्यकर्ता के ही चलती है और रुड़की शहर में विशेष तौर पर मुख्यमंत्री गुट के खास कहे जाने वाले प्रदेश प्रवक्ता मयंक गुप्ता की छवी दिन पर दिन निखरती जा रही है छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम आसानी से मयंक गुप्ता शहर में करा दे रहे हैं वही महापौर इस में असमर्थ दिखाई देते हैं अब देखने वाली बात होगी पार्टी ज्वाइन करने के बाद भी मेयर गौरव गोयल कितने कामयाब हो पाते हैं
तो क्या फर्क आने वाला है रुड़की की राजनीति में
अगर रुड़की की राजनीतिक समीकरण की बात की जाय तो 2022 विधानसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का टिकट किसको मिलेगा यह बड़ी चर्चा का विषय क्योंकि अगर बात की जाए धरातल पर कार्यकर्ता के काम करने की तो आज मयंक गुप्ता का नाम सबसे ऊपर है वही प्रदीप बत्रा को भी टिकट होने के आसार ज्यादा है क्योंकि अगर मेरा गौरव पर भाजपा में आए हैं तो जाति समीकरण भी बड़ी भूमिका चुनाव में निभाएंगे अगर वैश्य समाज से मेयर हो जाएगा तो टिकट की संभावना किसी दूसरे समाज को ज्यादा हो जाती है यहां प्रदीप बत्रा का पक्ष मजबूत लगता है अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन बाजी मारता है??