रामपुर-पाडली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज 15 नवम्बर को,प्रभावित भी हो सकते हैं रुड़की नगर निगम चुनाव?

रुड़की(संदीप तोमर)।
रामपुर-पाडली को रुड़की नगर निगम में शामिल किए जाने संबंधी याचिका पर मा.सुप्रीम कोर्ट आज यानि 15 नवम्बर को सुनवाई करेगा। इस बीच इस मुद्दे पर संघर्ष करने वालों का ताना-बाना बिखर चुका है। राजनेताओं के स्वार्थो की राजनीति का कारण बने इस मुद्दे पर अब खुद क्षेत्रवासियों को संघर्ष करना होगा। इस बीच रुड़की में बिना रामपुर-पाडली के ही चुनाव जारी है और आज होने वाली सुनवाई की बाबत पूछे जाने पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि ‘अब सुनवाई का कोई औचित्य नहीं।’ उन्होंने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि रामपुर-पाडली को लेकर सरकार क्या निर्णय लेने जा रही है।

नगर निगम क्षेत्र विस्तार के तहत 2015 में राज्य सरकार ने रामपुर-पाडली को निगम क्षेत्र में शामिल किया था। तब यहाँ ग्राम पंचायत चुनाव नहीं कराया गया था। लेकिन 2017 में सरकार बदल जाने के बाद दोनों गांवों को निगम से बाहर कर दिया था। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार के निर्णय को नियम विरुद्ध बताकर ख़ारिज किया था तो सरकार ने क़ानून ही संशोधित कर दिया था। मामला पुनः हाई कोर्ट की डबल बेंच में गया था और सरकार को मुंह की खानी पड़ी थी। फिर सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी,जहाँ हाई कोर्ट के निर्णय पर स्थगनादेश आ गया था और सरकार को चुनाव कराने का आदेश हुआ था। पहले मामले की सुनवाई 25 अक्तूबर को हुई थी। लेकिन सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था। सरकार को 15 नवम्बर तक का आदेश मिला था,जो कि आज है। सुनवाई की पूर्व संध्या पर इस संवाददाता ने मदन कौशिक से सवाल पूछा तो उपरोक्त जवाब मिला।

बहरहाल, मंत्री कुछ भी कहें लेकिन सुप्रीम कोर्ट को मामले की सुनवाई तो करनी ही है। कारण यह है कि फिलहाल रामपुर-पाडली को कोई प्रशासनिक दर्जा नहीं है। भले ही उन्हें निगम में शामिल न करने की सरकार की अपील को अदालत मान ले,भले ही अदालत की सुनवाई से जारी नगर निगम चुनाव की प्रक्रिया प्रभावित न हो,लेकिन अदालत को रामपुर-पाडली की बाबत तो कुछ निर्णय लेना ही पड़ेगा। इस बीच यह तय हो गया है कि अब अपने अधिकार की लड़ाई रामपुर-पाडली वासियों को खुद लड़नी होगी। बड़ी हद कलियर विधायक फुरकान अहमद उनका साथ दे सकते हैं, क्योंकि ये दोनों क्षेत्र कलियर विधानसभा का हिस्सा हैं। कलियर की राजनीति के दूसरे झंडाबरदार पूर्व विधायक मु. शहज़ाद पहले से ही इस मामले में सरकार के साथ हैं। यानि इन दोनों आबादियों को निगम में शामिल करने के विरुद्ध हैं।

बहरहाल, रामपुर-पाडली की अदालती लड़ाई फुरकान अहमद के साथ रुड़की के पूर्व मेयर यशपाल राणा ने मिलकर लड़ी थी। फिर कांग्रेस मेयर टिकट के दावेदार रजनीश शर्मा भी इसमें शामिल हो गए थे। लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं। फुरक़ान अहमद और यशपाल राणा अब निगम चुनाव में साथ नही दिखते हैं। यशपाल राणा अपने भाई रिशू राणा को कांग्रेस टिकट पर मेयर का चुनाव लड़ा रहे हैं और फुरकान अहमद पर आरोप है कि वे राणा का साथ नही दे रहे हैं। इसी प्रकार कांग्रेस में टिकट की लड़ाई हारने के बाद रजनीश शर्मा भी यशपाल राणा से कुपित हैं। इस सबके बीच रजनीश शर्मा को लेकर यह चर्चा भी है कि वे उन भाजपा प्रत्याशी मयंक गुप्ता के साथ खड़े हो गए हैं, जिनकी पहल पर सरकार ने रामपुर-पाडली को निगम से बाहर किया था। रामपुर-पाडली वासी इस स्थिति से वाकिफ हैं। शायद इसी कारण उन्होंने अपने संघर्ष की अपनी व्यवस्था कर ली है। खैर माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश रुड़की नगर निगम के जारी चुनाव में कुछ भी हलचल पैदा कर सकता है।

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