नगर निगम ने हाउस टैक्स बढ़ोतरी किस नियम के तहत की-राजेंद्र चौधरी एडवोकेट,निरुत्तर हुए अफसर

रुड़की(संदीप तोमर)। आज नगर निगम द्वारा गृह कर बढ़ाए जाने के संबंध में आपत्तियों के निस्तारण हेतु नगर निगम सभागार में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के गणमान्य लोगों, पूर्व पार्षदों व आपत्तिकर्ताओं ने अपनी अपनी आपत्तियों रखी। इस अवसर पर राजेंद्र चौधरी एडवोकेट ने मुख्य नगर अधिकारी के माध्यम से जानना चाहा कि किस आधार पर 50% वृद्धि की गई?वह कौन सा नियम है जिस नियम के तहत आपके द्वारा 50 परसेंट वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा गया और यह भी सवाल किया कि जब नगर पालिका से वर्ष 2013 में नगर निगम बनाया गया तो उस समय भोली भाली जनता ने यह समय सोचते हुए कि नगर निगम बनने से उन्हें सुविधाएं ज्यादा मिलेंगी। उस समय 1000% तक हाउस टैक्स बढ़ा हुआ स्वीकार किया। किंतु नगर निगम द्वारा कोई फैसिलिटी, सुविधा प्रदान नहीं की गई। इसी के साथ अलग से जल निगम का गठन करते हुए एक और टैक्स जनता पर थोप दिया। सीवरेज व वाटर टैक्स के नाम पर आज पूरे नगर निगम क्षेत्र में सड़कों का बुरा हाल है। चारों तरफ जलभराव हो रहा है और गंदगी के कारण बीमारियां फैल रही हैं सड़कों पर आवारा पशु घूम रहे हैं। इन सब सुविधाओं की तरफ नगर निगम प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। इसलिए यह ग्रह कर बढाया जाना उचित नहीं है और इस प्रस्ताव को निरस्त किया जाना चाहिए। राजेंद्र चौधरी के सवाल पर कि कौन से नियम के तहत हाउस टैक्स बढ़ाया जा रहा है। अधिकारी उत्तर नहीं दे सके। इस अवसर पर विकास त्यागी ने भी हाउस टैक्स बढ़ाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इस बढ़ोतरी को निरस्त किया जाना जनहित में जरूरी है और सुझाव दिया की सीनियर सिटीजन विधवा व पूर्व सैनिकों को हाउस टैक्स में छूट दी जानी चाहिए। इस अवसर पर पूर्व पार्षद चंद्रप्रकाश बांटा, राकेश गर्ग, रमेश चंद्र जोशी, पंकज सतीजा, गुरप्रीत सिंह, विक्की, प्रीतम सिंह, एनके सिन्हा, राजकुमार गुप्ता आदि ने भी हाउस टैक्स बढ़ाये जाने का पुरजोर विरोध किया और इसे न्यायोचित नहीं कहा तथा अधिकारियों से इस बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेने की मांग की। रमेश चंद जोशी ने सुझाव दिया कि शहर में लगभग 5000 घर ऐसे हैं जो हाउस टैक्सी अदा नहीं करते हैं। पहले उनसे वसूला जाए। इस अवसर पर तमाम आपत्तिकर्ताओं ने एक स्वर में टैक्स बढ़ोतरी को वापस लिए जाने की मांग की और ऐसा ना करने पर आंदोलन की चेतावनी दी। बैठक में सहायक नगर अधिकारी ने कहा कि वह इन आपत्तियों का 15 दिन के अंदर निस्तारण करा देंगे। लेकिन वह इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि किस नियम के तहत यह बढ़ोतरी की गई। समस्त आपत्तिकर्ताओं ने राजेंद्र चौधरी के सवाल का जवाब जानना चाहा जिस पर तमाम अधिकारीगण निरुत्तर पाए गए।

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