भारतीय किसान यूनियन ने की महापंचायत ,मांग पूरी नहीं हुई तो चक्का जाम

मंगलौर: भारतीय किसान यूनियन ने मंगलौर गुड़ मंडी में महापंचायत की। इस दौरान किसानों ने शासन-प्रशासन पर जमकर निशाना साधा। भाकियू नेताओं ने कहा कि समस्या को हल किए बिना पिछले दिनों प्रशासन ने लाठी-डंडे के जोर पर धरने पर बैठे किसानों को उठाया, जिसका वह विरोध करते हैं। मौके पर पहुंचे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों से वार्ता की। जिस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि 15 अगस्त तक उनकी समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। इस पर भाकियू नेताओं ने चेताया कि 15 अगस्त तक उनकी मांग नहीं मानी गई तो 19 अगस्त को प्रदेश की सीमाएं सील कर बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। भिश्तीपुर से ही किसानों के आंदोलन का आगाज होगा।

रुड़की-देवबंद रेल लाइन मार्ग पर कम मुआवजा देने और प्रभावित परिवारों को सरकारी नौकरी न देने के विरोध में किसान दो साल से भिश्तीपुर गांव में धरना दे रहे थे। तीन जुलाई को प्रशासन ने सख्ती के साथ किसानों को धरने से उठा दिया था। इसे लेकर किसानों में रोष था। सोमवार को भाकियू ने मंगलौर मंडी में महापंचायत का एलान किया था। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रदेश सरकार और प्रशासन लगातार किसानों की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि देवबंद रेल लाइन मार्ग से जुड़े किसानों की मुआवजा और नौकरी की मांग नहीं मानी जाती है तो महापंचायत भिश्तीपुर पहुंचकर रेल लाइन का काम रुकवाकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया जाएगा। अपर उप जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह बिष्ट और पुलिस अधीक्षक देहात नवनीत सिंह भुल्लर मौके पर पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने किसानों को समझाने का प्रयास करते हुए कहा कि डीएम की इस संबंध में शासन स्तर पर वार्ता हुई है।


15 अगस्त तक किसानों की समस्या का समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा। इस पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने प्रशासन को चार दिन का और समय देते हुए कि यदि 15 तक कोई हल नहीं हुआ तो 19 अगस्त को बड़ा आंदोलन शुरू हो जाएगा। इस मौके पर पुरकाजी के नगर पंचायत अध्यक्ष जहीर फारूखी, भाकियू के मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष विकास शर्मा, संजय चौधरी, रवि चौधरी, राममूर्ति, विजय शास्त्री, ओमप्रकाश, धर्मेन्द्र, सुक्रमपाल, राकेश लौहान, अरशद आदि मौजूद रहे। किसानों ने मंडी में लगा दी भट्टी

मंगलौर: मंगलौर गुड़ मंडी पर सुबह से ही किसानों ने खाना बनाने के लिए भट्टी लगा दी। इतना ही नहीं म्यूजिक सिस्टम लगाकर देशभक्ति गाने और हरियाणवी लोक गीतों से पूरे माहौल में जोश दिया। साथ ही, किसानों ने टैंट लगाने शुरू कर दिए।

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