(खोल दूं पोल) भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष पद पर भी सैनी बिरादरी की दावेदारी लग सकती है किनारे? जानिए किस तरह प्रभावित करेगा रुड़की मेयर चुनाव परिणाम…

रुड़की(संदीप तोमर)। गत वर्ष सम्पन्न हुए नगर निगम रुड़की मेयर पद के चुनाव परिणाम से भाजपा की राजनीति के दृष्टिगत जातिगत लिहाज से जो बिरादरी सबसे ज्यादा राजनीतिक संकट का शिकार होने के मुहाने पा आ खड़ी हुई है,वह है सैनी बिरादरी। चुनाव परिणाम के बाद जो तस्वीर उभरी है,उसमें भाजपा के आला नेताओं का सैनी बिरादरी के पार्टी से जुड़े अधिकांश नेताओं से मोह भंग होता नजर आ रहा है। स्थिति यहां तक बनी है कि पार्टी जिलाध्यक्ष पद पर तो सैनी नेताओं के दावे को दरकिनार कर ही दिया गया है,अब युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष पद पर भी युवा सैनी नेताओं की दावेदारी खारिज होने के पूरे आसार हैं। क्योंकि जहां अधिकांश युवा सैनी नेता भी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने मेयर चुनाव में पार्टी के प्रति खुले तौर पर गद्दार बनकर उभरे,वहीं जो पार्टी के साथ भी बने रहे,वह भी कोई चमत्कार नही कर सके। यानि उनके बिरादरी में वजूद की पोल इस चुनाव से पार्टी के समक्ष खुल गयी।

सबसे पहले यह जान लिया जाए कि खबर में रुड़की निगम चुनाव की ही बात क्यों की गई है। दरअसल रुड़की निगम क्षेत्र से चार विधानसभा सीधे तौर पर जुड़ी हैं और पार्टी की इच्छानुसार सरकार ने कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़के पूरे तौर पर अपने चाहे परिसीमन पर चुनाव कराए। इन सभी क्षेत्रों में सैनी बिरादरी अच्छी संख्या में मौजूद है,ऐसे में निगम चुनाव सैनी नेताओ की अग्नि परीक्षा जैसा था। खैर रुड़की हब ने निगम चुनाव के बाद भाजपा से जुड़े बड़े सैनी नेताओं की चुनाव में स्थिति को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी। जिसमें भाजपा से जुड़े बड़े सैनी सूरमाओं की उनके अपने समाज में स्थिति को लेकर मंथन करने का जिक्र शेरपुर गांव के सैनियों वाले बूथ पर भाजपा व अन्य को मिले मतों का उदाहरण देते हुए किया गया था। पार्टी बड़े सैनी सूरमाओं की उनके अपने समाज में स्थिति को लेकर मंथन कर रही है,ऐसा अब इसलिए लगता है क्योंकि जिलाध्यक्षी में ऐसे कई बड़े सैनी नेताओं की दावेदारी को दरकिनार कर दिया गया,जो मेयर चुनाव में पार्टी के साथ खड़े तो रहे पर पार्टी प्रत्याशी को बिरादरी के वोट नही दिलवा पाए। ठीक यही स्थिति अब जल्द ही होने वाले युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष के चयन में युवा सैनी नेताओं की बाबत रहने के आसार हैं। दरअसल पार्टी से जुड़े युवा सैनी नेता मेयर चुनाव में या तो पार्टी से खुली बगावत किये रहे,या फिर जो पार्टी के साथ खड़े रहे वह भी पार्टी को बिरादरी के दृष्टिगत अपेक्षित परिणाम नही दिला पाए। उदाहरण के तौर पर पार्टी से जुड़े युवा नेता आलोक सैनी व विधायक प्रदीप बत्रा के प्रतिनिधि प्रमोद सैनी पार्टी से खुली बगावत कर निर्दलीय मेयर बने गौरव गोयल के साथ रहे तो ऐसे ही युवा नेता अजय प्रताप सैनी खड़े तो पार्टी के साथ रहे,पर उनके गृह वार्ड आदर्शनगर तक में मेयर पद पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। यह भी दिलचस्प है कि यहां पार्षद पद के पार्टी प्रत्याशी रिकॉर्ड मत पाकर विजयी हुए,जबकि मेयर पद पर पार्टी गौरव गोयल से हारी। प्रमोद सैनी या आलोक सैनी जिलाध्यक्ष पद के न दावेदार हैं और न ही हो सकते हैं,किंतु अजय प्रताप सैनी की इस पद हेतु प्रबल दावेदारी है। पर निगम चुनाव का परिणाम विशेष रूप से उनके वार्ड के चुनावी नतीजे उनकी दावेदारी को कमजोर करेंगे,इसके पूरे आसार हैं। यूं मूलतः कलियर विधानसभा अंतर्गत शांतरशाह निवासी अजय प्रताप सैनी पर विगत विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी जयभगवान सैनी के खिलाफ काम करने के आरोप भी लगे थे और सूत्रों के अनुसार खुद जयभगवान सैनी ने इस बाबत शिकायत की थी। यह अलग बात है कि इसके बावजूद जब संगठनात्मक जिला रुड़की था,तो जिलाध्यक्ष सागर गोयल ने शायद निजी गहरी दोस्ती के कारणअजय को जिला महामंत्री और बाद में हरिद्वार पूर्ण जिले का जिलाध्यक्ष बनने पर जिला उपाध्यक्ष भी बना दिया था। लेकिन इस बार निगम चुनाव परिणाम के कारण जिलाध्यक्षी में सैनी वर्ग को किनारे करने के पूरे आसार हैं। व्यक्तिगत अजय प्रताप सैनी के लिए तो मुश्किलें और बढ़ी दिखती है,बाकि समय सारी बातें साफ कर ही देगा।

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