बाटा और गोयल की जुगलबंदी बिगाड़ सकती है भाजपा की “जुगाली” का स्वाद,फिर दोहरा सकता है 2013 का इतिहास,बैठक आज

रुड़की(संदीप तोमर)। तीसरी बार नगर प्रमुख पद के लिए भाजपा टिकट की लड़ाई हारे गौरव गोयल और पार्षद तक के टिकट से महरूम कर दिए गए मेयर टिकट के दावेदार रहे भाजपा के कट्टर हिंदूवादी नेता पूर्व पार्षद चंद्रप्रकाश बाटा की जुगलबंदी भाजपा की चुनावी “जुगाली” का स्वाद बिगाड़ सकती है। यह जुगलबन्दी होगी या नही?या फिर किस रूप में होगी?यह आज दस बजे से गौरव गोयल के यहां होने जा रही बैठक में साफ होगा।

गौरव गोयल का टिकट ना हो पाने को लेकर उनके समर्थकों में गहरा आक्रोश है। बीती देर रात भाजपा से मयंक गुप्ता का टिकट हो जाने के बाद से गौरव गोयल के समर्थक सोशल मीडिया पर पार्टी को जमकर कोस रहे हैं। इसके साथ ही वह गौरव गोयल पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का दबाव भी सोशल मीडिया के जरिए बना रहे हैं। इसी कड़ी में मेयर टिकट के दावेदार रहे पूर्व पार्षद चंद्र प्रकाश बाटा जातिगत लिहाज से भले अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं लेकिन उनके हिंदुत्ववादी चेहरे व समाज में किए गए कार्यों को देखते हुए उनके समर्थक मेयर टिकट के लिए उनका नाम पक्का मान रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, अलबत्ता पार्षद पद के लिए भी चंद्र प्रकाश बाटा का टिकट नहीं हो पाया। हालांकि भाजपा के कुछ नेताओं का दावा है कि चंद्र प्रकाश बाटा ने पार्षद टिकट की मांग ही नहीं की थी। जबकि व्हाट्सएप पर मेयर चंद्रप्रकाश बाटा के नाम से बने उनके ग्रुप में उनके समर्थक उनका पार्षदी का टिकट कट जाने को लेकर गहरा आक्रोश जाहिर कर रहे हैं। गौरव गोयल व चन्द्र प्रकाश बाटा के समर्थक एक मंच पर आते दिख रहे हैं। जिस तरह की सूचनाएं मिल रही हैं, उनके अनुसार आज गौरव गोयल के यहां होने वाली बैठक में चंद्र प्रकाश बाटा के समर्थक भी शामिल होंगे। जहां चंद्र प्रकाश बाटा के समर्थकों को उम्मीद है कि पार्टी ने ठीक 2013 की वैसे ही गलती की है जैसी गलती तब यशपाल राणा का पार्षद का टिकट काटकर की गई थी और वह मेयर का चुनाव लड़कर जीत गए थे। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि चन्द्र प्रकाश बाटा भी इतिहास को दोहरा सकते हैं। हालांकि चंद्र प्रकाश बाटा 2013 में यशपाल राणा की भांति निर्दलीय लड़ेंगे या नहीं?या फिर गौरव गोयल निर्दलीय लड़ेंगे या नही?अथवा दोनों का कोई और कदम होगा। इस बैठक से साफ हो सकेगा। लेकिन इतना तय है कि दोनों की जुगलबंदी हुई और जुगलबंदी कर आपसी सहमति से दोनों में से कोई भी चुनाव लड़ा तो यह जुगलबंदी भाजपा की चुनावी “जुगाली” का स्वाद बिगाड़ देगी।

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